हमारा उद्देश्य एआई को जिम्मेदारी से अपनाने में नेतृत्वकारी भूमिका निभाना : वित्त मंत्री

New Delhi, 15 सितंबर . वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Monday को कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से विकसित हो रहा है और इसे एक स्थिर तकनीक के रूप में नहीं देखा जा सकता.

वित्त मंत्री सीतारमण ने जोर देते हुए कहा कि जैसे-जैसे एआई रियल टाइम में विकसित हो रहा है, सतर्क रहने की जरूरत है. साथ ही, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि नैतिकता की अनदेखी न हो.

नीति आयोग की रिपोर्ट ‘एआई फॉर विकसित भारत: द अपॉर्चुनिटी फॉर एक्सीलेरेटेड इकोनॉमिक ग्रोथ’ के विमोचन के अवसर पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि नियमन भी तकनीक की तरह ही तेजी से आगे बढ़ना चाहिए.

वित्त मंत्री ने कहा, “अगर तकनीक तेज़ी से आगे बढ़ रही है, तो नियमन भी तेजी से आगे बढ़ना चाहिए.”

वित्त मंत्री ने बताया कि Government एआई को लेकर नैसकॉम और अन्य हितधारकों के साथ लगातार चर्चा कर रही है.

उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल वैश्विक विकास के साथ तालमेल बनाए रखना नहीं, बल्कि एआई को जिम्मेदारी से अपनाने में नेतृत्वकारी भूमिका निभाना है.

वित्त मंत्री ने कहा, “हम पीछे नहीं रहना चाहते, लेकिन हम बराबरी पर भी नहीं रह सकते, हमें नेतृत्वकारी भूमिका निभानी होगी.”

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि नियमों में इनोवेशन को प्रोत्साहित करने और जिम्मेदारी से उपयोग सुनिश्चित करने के बीच संतुलन होना चाहिए.

उन्होंने अपनी बात समझाते हुए कहा, “हम ऐसा नियमन नहीं चाहते, जो तकनीक को ही खत्म कर दे. हम नियमन चाहते हैं क्योंकि हम एक जिम्मेदार अनुप्रयोग चाहते हैं.”

उन्होंने केंद्रीय बजट में घोषित पहलों जैसे शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और शहरी क्षेत्रों के लिए एआई सेंटर सेटअप करने का भी जिक्र किया.

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि एआई का इस्तेमाल बेहतर शहरों और बेहतर जीवन स्थितियों के समाधान प्रदान करने के लिए किया जाना चाहिए.

वित्त मंत्रालय भारतीय रिजर्व बैंक के साथ भी काम कर रहा है, जो विभिन्न एआई-आधारित अनुप्रयोगों के परीक्षण के लिए एक सैंडबॉक्स विकसित कर रहा है.

साथ ही, वित्त मंत्री सीतारमण ने आगाह किया कि एआई चुनौतियां लेकर आता है, जिसमें नौकरियों और व्यापक रूप से समाज पर इसका संभावित प्रभाव भी शामिल है.

उन्होंने कहा, “एआई प्रगति का एक शक्तिशाली साधन हो सकता है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि India के जनसांख्यिकीय लाभांश पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े.”

एसकेटी/