इस्लामाबाद, 23 मई . पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार के लिए कठिन समय आने वाला है. देश में एक बड़ा विपक्षी गठबंधन बन रहा है. यह बड़े पैमाने पर रैलियां, विरोध प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार को ‘गिराने’ की योजना बना रहा है.
8 फरवरी के चुनाव के बाद बनी मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार मुश्किल में है. देश में राजनीतिक अस्थिरता लगातार नुकसानदेह बनी हुई है.
सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) के तहत नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के शीर्ष नेतृत्व और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के बीच महत्वपूर्ण बैठकें शुरू हो चुकी हैं.
विपक्ष देश में जल्द चुनाव कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की योजना बना रहा है.
दिलचस्प बात यह है कि जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजल-उर-रहमान राजनीतिक दलों के विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के अध्यक्ष थे, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तत्कालीन सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ हाथ मिलाया और बाद में संसद में अविश्वास मत के माध्यम से उनका निष्कासन सुनिश्चित किया.
फजल-उर-रहमान ने पीटीआई और इमरान खान पर भारत एवं इजरायल से फंडिंग का आरोप लगाया था. इसके अलावा उन्होंने पार्टी नेताओं पर विदेशी एजेंट होने का आरोप लगाया जो पाकिस्तान में अराजकता और अस्थिरता फैलाने के लिए काम कर रहे थे.
दूसरी तरफ इमरान खान ने अतीत में विभिन्न राजनीतिक रैलियों और अभियानों के दौरान फजल-उर-रहमान को ‘डीजल’ और ‘मौलाना डीजल’ करार दिया.
हालांकि, अब दोनों पक्ष विपक्ष में बैठे हैं. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने मतभेदों को भुला दिया है और सत्तारूढ़ सरकार को गिराने के लिए हाथ मिला लिया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन शरीफ सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. सरकार पहले से ही फरवरी के चुनाव के दौरान हेरफेर और जानबूझकर धांधली के आरोपों के कारण बड़े पैमाने पर आलोचना का सामना कर रही है.
सूत्रों ने कहा, “पीटीआई और जेयूआई-एफ समेत विपक्षी दल इस्लामाबाद की ओर रैलियां, विरोध प्रदर्शन और कई लंबे मार्च आयोजित कर सरकार विरोधी अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं.
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