पश्चिम बंगाल में विपक्ष ने पुलिस की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल

कोलकाता, 18 फरवरी . पश्चिम बंगाल में संदेशखाली की एक पीड़िता ने पुलिस के बजाय न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया. इसके बाद राज्य में विपक्षी दलों ने पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.

पीड़िता के बयान के आधार पर ही तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता शिबू हाजरा को शनिवार को गिरफ्तार किया गया. विपक्षी दलों ने दावा किया, ”यह घटनाक्रम इस बात का ठोस उदाहरण है कि पश्चिम बंगाल में आम लोगों की नजर में राज्य पुलिस की कितनी विश्वसनीयता है.’

भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ”संदेशखाली में प्रदर्शनकारी महिलाओं ने दावा किया है कि जब भी वे स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ शिकायत लेकर पुलिस के पास जाती थीं, तो पुलिस उन्हें केवल माफी के लिए आरोपियों के पास जाने की सलाह देती थी.”

राहुल सिन्हा ने कहा कि पुलिस ने कभी भी एफआईआर दर्ज नहीं की. इसलिए महिला को अब न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश होकर गुप्त बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य डॉ. सुजन चक्रवर्ती ने बताया, ”जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को गुप्त बयान देने का फैसला करता है, जो न्याय प्रणाली में है लेकिन पुलिस में नहीं है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आम लोगों का पुलिस पर से विश्वास खत्म हो गया है.”

उन्होंने कहा, “न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने गुप्त बयान संदेशखाली के स्थानीय लोगों के पिछले अनुभवों से प्रेरित है, जब उन्होंने अतीत में माफी के लिए स्थानीय पुलिस से संपर्क किया था.”

हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से इन टिप्पणियों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

तथ्य यह है कि संदेशखाली के स्थानीय लोगों का पुलिस पर से विश्वास उठता जा रहा है. यह शनिवार को स्पष्ट हो गया. महिला ने पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डब्ल्यूबीसीपीसीआर) और मीडिया को बताया कि उसके बच्चे को पुलिस की वर्दी में कुछ नकाबपोश गुंडों ने छीन लिया और फेंक दिया. वह घटना के बाद मदद के लिए पुलिस के पास नहीं गई, क्योंकि उसे स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है.

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