मुंबई, 5 दिसंबर . संसद के शीतकालीन सत्र में भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) रिपोर्ट का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि जब भी संसद का सत्र चल रहा होता है, उसी समय विदेशों में कोई न कोई रिपोर्ट सामने आ जा जाती है, जिसका मकसद भारत की छवि खराब करने की कोशिश है. सुधांशु त्रिवेदी द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद राजनीतिक बयानबाजियां तेज हो गई हैं.
भाजपा नेता हितेश जैन ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत विपक्ष के नेताओं पर आरोप लगाया कि विदेशी रिपोर्ट्स, जैसे पेगासस और हिंडनबर्ग का इस्तेमाल विपक्ष जानबूझकर भारत की छवि को धूमिल करने और संसद में हंगामा करने के लिए करता है. उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन सालों में अचानक कुछ रिपोर्ट्स सामने आईं, इनमें पेगासस और हिंडनबर्ग शामिल हैं. यह रिपोर्ट्स हमेशा संसद सत्र से कुछ दिन पहले जारी होती थीं. इन रिपोर्ट्स में कोई तथ्य नहीं था, सिर्फ बेबुनियाद बातें थीं, जो सनसनी फैलाने के लिए की गईं.
हितेश जैन ने आरोप लगाया कि कुछ विदेशी ताकतें, विशेष रूप से जॉर्ज सोरोस, भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे. उन्होंने कहा कि जॉर्ज सोरोस ने साफ तौर पर कहा था कि उन्हें भारत को तबाह करना है और भारत की प्रगति से नफरत है. यह व्यक्ति अपनी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के जरिए ओसीसीआरपी जैसे संगठनों की फंडिंंग करता है. राहुल गांधी और विपक्षी दल इन रिपोर्ट्स का समर्थन करते हैं, बिना यह जाने कि इनमें क्या लिखा है.
विपक्ष के रवैए पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष को हमेशा देश के राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना चाहिए था. लेकिन उन्होंने इन बेबुनियाद रिपोर्ट्स का समर्थन किया और संसद में हंगामा किया, इससे भारत की छवि को नुकसान पहुंचा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष बाहरी ताकतों से हाथ मिला कर भारत की छवि को धूमिल करने में लगा है. यह सब एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था. जब संसद का सत्र चल रहा होता, तभी ये रिपोर्ट्स सामने आतीं.
हितेश जैन ने विपक्ष से नेशन फर्स्ट की नीति अपनाने की अपील करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हित विपक्ष और सत्ताधारी दोनों के ऊपर है. विपक्ष को राजनीति करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देनी चाहिए. दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए काम कर रहा है और इसमें न नीति है, न नियत है, और न ही देशहित में विश्वास है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में विपक्ष ने ओसीसीआरपी जैसे संगठनों का साथ दिया और यह सहयोग नहीं, बल्कि एक सांठगांठ थी. इसकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिए कि इन रिपोर्ट्स के पीछे क्या साजिश है, और विपक्ष ने इन रिपोर्ट्स का समर्थन किस उद्देश्य से किया.
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