‘इरादा गरीबों को मतदान के अधिकार से हटाना’, एसआईआर मुद्दे पर विपक्ष का हमला

New Delhi, 25 जुलाई . अब तक बिहार मुद्दे तक सीमित राजनीति के बीच भारतीय निर्वाचन आयोग ने पूरे देश में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) का ऐलान कर दिया है. इस फैसले से देश की सियासत और गरमा गई है. Friday को दिल्ली में विपक्षी दलों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और एसआईआर के पोस्टर फाड़कर प्रतीकात्मक डस्टबीन में डाले.

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाए कि इनका (Government) इरादा गरीबों को मतदान के अधिकार से हटाकर इसे सिर्फ अभिजात वर्ग तक सीमित करना है.

उन्होंने कहा, “जब ‘वयस्क मताधिकार’ देश में लाया गया तो जवाहर लाल नेहरू और बाबासाहेब अंबेडकर जैसे नेताओं ने कहा था कि यह देश के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि देश में पढ़े-लिखे लोग कम हैं. गरीबों के पास रोजगार नहीं है. इसलिए चाहे वह सफाईकर्मी हो या अरबपति हो, सबको समान मताधिकार मिलना चाहिए.”

मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा, “डर के मारे वे (Government) इन अधिकारों में संशोधन करने की कोशिश कर रहे हैं, जो लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाता है और संविधान के विरुद्ध है.” उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है.

Samajwadi Party के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि हम गांधीवादी दर्शन का पालन करते हैं, इसलिए हम शांतिपूर्ण तरीके से Government से लोकतंत्र की हत्या रोकने का आग्रह कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “Government से हमारा आग्रह है कि लोकतंत्र की हत्या करना बंद करें.”

टीएमसी सांसद सयानी घोष ने भी एसआईआर का विरोध किया. समाचार एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि India Government में समानुभूति और सहानुभूति की कमी है. हमने देखा है कि 62 लाख लोगों को मतदाता सूची से निकाला गया है. अब यह नहीं हो सकता है कि यह सारे लोग अवैध प्रवासी हैं या बांग्लादेशी हैं.”

सयानी घोष ने आरोप लगाए कि बिहार और पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए यह (Government) इन राज्यों पर फोकस कर रहे हैं. यह अपने आप को फायदा पहुंचाने के लिए यह एसआईआर करा रहे हैं. टीएमसी सांसद ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम इसके खिलाफ हैं और हमारी नेता (ममता बनर्जी) ने कहा कि हम आगे जाकर इसके खिलाफ लड़ेंगे. यह एक आंदोलन का रूप लेगा.

विपक्ष के इन आरोपों पर जेडीयू के सांसद संजय झा ने पलटवार किया है. जेडीयू सांसद ने कहा, “एसआईआर प्रक्रिया बिहार में पहली बार नहीं है. 2003 में भी एसआईआर का काम हुआ था. उस समय भी एक ही महीने का समय था.” उन्होंने कहा कि हर चुनाव में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण होता है. यह चुनाव आयोग का काम होता है, जो अभी कर रहा है.

संजय झा ने सवाल किया, “चुनाव आयोग के अनुसार 21 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन विपक्ष क्या यह चाहता है कि मरे हुए लोग वोट डालें? जो 26 लाख लोग बिहार से दूसरे राज्यों में जा चुके हैं, क्या विपक्षी दल उनका दो जगह वोट कराना चाहते हैं?”

उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि मतलब स्पष्ट है कि जैसे बिहार में Lok Sabha में हारे, उसी तरह विपक्ष को पता है कि विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या होने वाला है. जैसे हल्ला कर रहे थे कि ‘संविधान खतरे में है,’ उसी तरह यह एसआईआर का हल्ला कर रहे हैं.”

डीसीएच/केआर