योगी आदित्यनाथ के सर्जरी वाले बयान पर मौलाना मदनी ने कहा, उनकी भी सर्जरी की जरूरत (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 9 जनवरी . दिल्ली में चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये देने घोषणा की. इस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि यह काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के सर्जरी वाले बयान पर कहा कि उनकी सर्जरी की भी जरूरत है. इसके अलावा मौलाना मदनी ने को दिए साक्षात्कार में संभल हिंसा, दिल्ली चुनाव, संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान समेत तमाम मुद्दों पर खुलकर अपना पक्ष रखा.

सवाल : अरविंद केजरीवाल की पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये देने की योजना के बारे में क्या कहेंगे?

जवाब : ये तो पॉलिटिकल फैसला है. चुनाव का समय है. यह पहले होना चाहिए था, लेकिन देर से ही सही, यह कदम उठाया गया है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. अगर किया है तो ठीक किया है.

सवाल : दिल्ली में अभी तक इमामों को उनकी बकाया सैलरी नहीं मिली है, क्या यह ठीक है?

जवाब : मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.

सवाल : अरविंद केजरीवाल मुसलमानों के लिए कोई ऐलान क्यों नहीं करते?

जवाब : मुसलमानों के लिए कुछ अलग से करने को कुछ लोग मुद्दा बना रहे हैं. मुझे लगता है कि मुसलमानों के लिए कुछ स्पेशल करने से ज्यादा जरूरी यह है कि उनके साथ इंसाफ हो. शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में बराबरी का हक मिलना चाहिए.

सवाल : मुसलमानों के लिए कौन सी पार्टी काम कर रही है, आपको क्या लगता है?

जवाब : मुझे लगता है कि आज के माहौल में भी भारत का समाज और उसका ढांचा मजबूत है. अगर इंसाफ सबके साथ होता रहे और समान अवसर सुनिश्चित किए जाए, तो इससे बेहतर कोई बात नहीं होगी. मुसलमानों के लिए कुछ करने से ज्यादा जरूरी यह है कि नफरत फैलाने वाली स्थितियों को कम किया जाए और समाज में एकता बनी रहे. इसे लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों को ध्यान देना चाहिए. उनके ल‍िए श‍िक्षा के क्षेत्र में योजनाएं लाई जाएं, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि उनके साथ इंसाफ हो और समान अवसर प्रदान किए जाएं.

सवाल : ओवैसी ने दिल्ली दंगों के आरोपियों को चुनाव में टिकट दिया है, क्या यह सही है?

जवाब : मुझे नहीं पता, यह वही बताएंगे.

सवाल : संभल में जो हुआ है, उस पर क्या कहेंगे?

जवाब : यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और इस घटना की वजह को समझना बहुत जरूरी है. जिस तरह से लोअर कोर्ट ने फैसला द‍िया और प्रशासन ने उसे लागू किया. इस पर लोगों ने अपनी फतह का इजहार किया, उसके नतीजे में यह हादसा हुआ. इसको काउंटर करने के लिए सरकार ने जो तरीका अपनाया, वह तरीका बहुत कठोर और जालिम था. हम इसे दूसरे तरीके से देखते हैं. यूपी सरकार और उसके अफसर इसे अपनी सफलता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जो गलत है. यह स्थिति और भी दुर्भाग्यपूर्ण है. इस पर आगे कुछ नहीं कहेंगे.

सवाल : मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि सर्जरी की ज़रूरत है, इस पर क्या कहेंगे?

जवाब : हां, उनकी भी सर्जरी की जरूरत है, क्योंकि लोगों ने दिमाग में जो गंदगी भर ली है, उसे साफ करने की जरूरत है. उन्हें समझना चाहिए कि वह पूरे राज्य के मुख्यमंत्री हैं और उन्हें उसी तरह व्यवहार करना चाहिए.

सवाल : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चेतावनी दी है कि कुछ लोग ह‍िंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, रोज नए मामले नहीं उठाने चाहिए. संघ प्रमुख की इस बात पर आपकी क्या राय है?

जवाब : मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि वह एक बड़े संगठन के प्रमुख हैं और कई बातें कहते हैं. मेरी राय में, उनका संदर्भ और दृष्टिकोण उनके संस्थान से जुड़ा होता है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.

सवाल : क्या आप संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने के इच्छुक हैं इस मुद्दे पर?

जवाब : मैं बार-बार कह चुका हूं कि मैं डायलॉग का पक्षधर हूं. अगर कोई मौका मिलता है, तो बातचीत हो सकती है, लेकिन मैं किसी से मिलने का इच्छुक नहीं हूं और न ही किसी का विरोधी हूं.

सवाल : अरविंद केजरीवाल के शीश महल का मुद्दा कितना बड़ा मुद्दा है, आपकी नजर में?

जवाब : यह पॉलिटिक्स का हिस्सा है, मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा.

सवाल : क्या कांग्रेस या राहुल गांधी मुसलमानों के मुद्दे उठा रहे हैं?

जवाब : मुझे नहीं पता. मुझे लगता है कि मुसलमानों के मुद्दे से ज्यादा जरूरी यह है कि देश के मुद्दों पर चर्चा हो. देश कहां खड़ा है? किस दिशा में जा रहा है? और किस दिशा में ले जाया जा रहा है? इस पर बहस होनी चाहिए. राजनीतिक पार्टियों को इसके लिए शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म स्ट्रेटेजी बनानी चाहिए, ताकि नफरत को कम किया जा सके और सभी समुदायों के बीच एकता बनाए रखी जा सके.

सवाल : कुंभ के आयोजक अखाड़ा परिषद ने कहा है कि मुस्लिम लोग कुंभ में न आएं, इस पर क्या कहेंगे?

जवाब : यह उनका फैसला है, वे जो चाहें कह सकते हैं.

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