नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा से खुलेंगे भाग्य के द्वार, जानें पूजा विधि और महत्व

New Delhi, 26 सितंबर . आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर Saturday को नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं.

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि और चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.

देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. माता का स्वरूप दिव्य और भव्य है. इनका शुभ वर्ण है और स्वर्ण आभा से मंडित हैं. इनकी चार भुजाओं में से दाहिने तरफ का ऊपरवाला हाथ अभय मुद्रा और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. ऊपरी बाएं हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल है. माता सिंह पर सवार रहती हैं.

शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में खुशहाली और दुश्मनों पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अति उत्तम मानी जाती है. मां कात्यायनी पूरे ब्रजमंडल की अधिष्ठदात्री देवी हैं. इनके आशीर्वाद से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है.

नवरात्रि के छठें दिन मां कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें. माता की चौकी को साफ करें. इसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें. मां कात्यायनी की पंचोपचार विधि से पूजा कर उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर आदि अर्पित करें. इसके साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि शामिल हों. फिर, मिठाई का भोग लगाएं.

उसके बाद अपने हाथ में एक कमल का फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें.

इसके बाद उनके सामने घी या कपूर जलाकर आरती करें. अंत में, मां के मंत्रों का उच्चारण करें. इस दिन मां कात्यायनी की पूजा में सफेद या पीले रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. मां कात्यायनी शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. मां कात्यायनी स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं.

एनएस/एबीएम