जम्मू, 5 अगस्त . जम्मू-कश्मीर में आज गोरखा समाज ने अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने की छठी वर्षगांठ पर ढोल-नगाड़ों के साथ जमकर जश्न मनाया. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर गोरखा सभा की अध्यक्ष करुणा छेत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए लागू रहने के दौरान हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा गया था.
उन्होंने आगे कहा कि हमारे बच्चों को न तो शिक्षा में अवसर मिलते थे और न ही Governmentी नौकरियों में हिस्सेदारी दी जाती थी. लेकिन जब से अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म हुई है, तब से हमारे बच्चे उच्च पदों पर सेवाएं दे रहे हैं. आज 6 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हम पूरे उत्साह से यह जश्न मना रहे हैं.”
उन्होंने Prime Minister Narendra Modi का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हम Prime Minister मोदी का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमारे साथ हुए दशकों के अन्याय को खत्म करते हुए धारा 370 को हटाया. हम लोग यहां 200 सालों से रह रहे थे. लेकिन, हम लोगों को पहले कोई अधिकार नहीं था. न ही हमारे पास नागरिकता थी और ना ही हमारे पास किसी तरह का मौलिक अधिकार था. जो भी पार्टियां यहां सत्ता में रही है, उन्होंने हमारी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया. अनुच्छेद 370 हटाकर पीएम मोदी ने हम लोगों को नया जन्म दिया है. हम पीएम मोदी का आभार जताते हैं, क्योंकि उन्होंने हमसे जो वादा किया था, उसे पुरा करने का काम किया है. “
कांग्रेस पार्टी की ओर से धारा 370 को फिर से लागू करने की चर्चा पर प्रतिक्रिया देते हुए करुणा छेत्री ने कहा, “अगर कांग्रेस पार्टी धारा 370 को वापस लाने की कोशिश करती है तो हम अपनी जान की बाज़ी लगा देंगे, लेकिन फिर से उस अंधकार युग में नहीं लौटेंगे.”
वहीं मनीष अधिकारी ने कहा कि आज का दिन कई मायनों में हम लोगों के लिए खास है. हम लोग लंबे समय तक अपने अधिकारों से वंचित रहे. लेकिन, अब हमें अपने सब अधिकार मिल रहे हैं. जब से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाया गया है, हम लोग विकास की मुख्य धारा में जुड़ गए है. गोरखा समाज यहां 200 सालों से रह रहा है. हमारे समाज को हमेशा वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है. लेकिन, जब से अनुच्छेद 370 का खात्मा हुआ है, सभी पार्टियों के लोग हम लोगों से जुड़ रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि हम इस मौके पर पीएम मोदी का आभार जताते हैं, जिन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया. पीएम मोदी ने हमारे समाज को ओबीसी का दर्जा दिया है. पहले हम लोगों के लिए अवसर की समानता नहीं थी, लेकिन अब हम लोगों को सभी तरह के मौलिक अधिकार मिल रहे हैं.
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एकेएस/जीकेटी