New Delhi, 23 जुलाई . उपPresident पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफा दिए जाने को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है. शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने जगदीप धनखड़ के उपPresident पद से इस्तीफा देने पर सवाल उठाए और कहा कि अगर उपPresident का स्वास्थ्य इस्तीफे की वजह है तो यह पहले भी किया जा सकता है. मानसून सत्र के पहले दिन ही क्यों, इससे कार्रवाई पर असर पड़ता है.
उन्होंने कहा कि जनता के मन में भी कई सवाल हैं. सत्र के पहले दिन उपPresident बिल्कुल ठीक दिखे और उनका स्वास्थ्य सामान्य लग रहा था.
Wednesday को आईएनएस से बातचीत के दौरान प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे से ठीक एक दिन पहले संसदीय कार्यवाही का संचालन किया था. जहां तक मुझे याद है कि मार्च में जब उनकी तबीयत खराब हुई थी तो वह अस्पताल से लौटे थे और सदन की कार्रवाई में हिस्सा लिया था. अचानक उनके इस्तीफा देने से मीटिंग नहीं हो पा रही है, जिससे पता नहीं चल पा रहा है कि बातचीत में क्या विषय आने वाला है.
उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की. प्रियंका चतुर्वेदी ने जगदीप धनखड़ के उपPresident पद से अचानक इस्तीफे को राज्यसभा की कार्यवाही के लिए इमरजेंसी ब्रेक करार दिया.
सदन की कार्रवाई बाधित होने पर उन्होंने कहा कि सदन में पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा होनी चाहिए. Prime Minister Narendra Modi ने सख्त लहजे में Pakistan को जवाब दिया था कि जब तक आतंकवाद से Pakistan पीछा नहीं छुड़ाता है, बातचीत संभव नहीं है. विपक्ष ने विदेशों में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का प्रचार किया, लेकिन संसद में इस पर चर्चा की मांग को Government अनदेखा कर रही है. इसके अलावा, विपक्ष लगातार विशेष सत्र (स्पेशल सेशन) की मांग करता रहा है, लेकिन Government ने इन मुद्दों को दबाया. जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. मगर ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है. Government अपनी जिद पर अड़ी है.
प्रियंका चतुर्वेदी ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया लोगों के वोटिंग अधिकारों को छीनने का प्रयास है, क्योंकि मांगे गए दस्तावेज सभी के पास उपलब्ध नहीं हैं. उनके अनुसार, बिहार में एसआईआर के तहत मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र के खिलाफ है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि Maharashtra में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाकर वोटरों के नाम काटे गए थे और यह भाजपा का एक सुनियोजित मॉडल है जिसे भविष्य के चुनावों में लागू किया जा सकता है.
प्रियंका चतुर्वेदी ने आधार कार्ड की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब आधार को बैंकिंग सिस्टम में पहचान के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है, तो इसे मतदाता सूची के सत्यापन में क्यों नहीं माना जा रहा. यह मुद्दा संसद में उठाया जाएगा.
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डीकेएम/एसके/एएस