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देहरादून, 21 नवंबर, . देश के स्कूलों और मदरसों में वंदे मातरम गाने से जुड़े आदेश को लेकर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स का कहना है कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है. हमने मदरसा बोर्ड खत्म कर दिया है. मदरसों में भी एक जैसी शिक्षा मिलेगी. आधा समय उत्तराखंड के सामान्य पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे और आधा समय कुरान पढ़ाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि मादरे वतन (हिंदुस्तान जिंदाबाद) का नारा मुसलमान लगाता है. वह भी वतन को अपनी मां मानता है. मां की तारीफ करना गलत नहीं है. एआर रहमान ने भी एक गाना गाया है, जिसमें उन्होंने India माता की जमकर तारीफ की है. बिहार के Governor आरिफ मोहम्मद खान ने उर्दू में वंदे मातरम लिखा है, इसमें कोई दिक्कत नहीं है.
शादाब शम्स ने कहा कि हम भारतीय मुसलमान हैं, अरबी मुसलमान नहीं. जब हम अपने वतन को मां कहते हैं. मादरे वतन का नारा हमने नहीं दिया है. यह नारा भारतीय जनता पार्टी ने नहीं दिया है. यह नारा उलेमाओं का दिया हुआ है. जब देश की आजादी की लड़ाई चल रही थी, तब हमने मुल्क को अपनी मां माना. जब आपने मुल्क को मां माना है और मां की तारीफ कर रहे हैं, तो इसमें किसी को कोई दिक्कत नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि जुबान में दिक्कत आ सकती है. संस्कृत पढ़ने में दिक्कत आ सकती है. शायद आप उसके भाव को न समझ पाते हों, लेकिन भाव सिर्फ इतना ही है कि वतन, जिसे हम अपनी मां मानते हैं, उसकी तारीफ अलग-अलग लफ्जों में की जा रही है. इसका भाव किसी भी लहजे में रखा जाए तो वह बेहतर ही होगा, खराब हो ही नहीं सकता.
इससे पहले कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने ‘वंदे मातरम’ वाले विवाद को लेकर आरएसएस से सवाल किया था कि क्या उसने संविधान का सम्मान किया? जब आरएसएस की स्थापना हुई थी, तब क्या ‘वंदे मातरम’ गाया जाता था? जब देश को आजादी मिली, तब आरएसएस ने ‘वंदे मातरम’ या राष्ट्रगान गाया?
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम राष्ट्रगीत है. हमें उसमें कुछ शब्दों पर आपत्ति है. ये शब्दों का फेर है. उन्होंने कहा, “हम केवल अल्लाह को सजदा करेंगे. अल्लाह के अलावा कहीं और सजदा नहीं किया जा सकता.”
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एएमटी/वीसी