पटना, 5 नवंबर . देश में इन दिनों छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. पटना सहित पूरे बिहार में इस पर्व की विशेष छटा देखने को मिल रही है. मंगलवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो गई. छठ पूजा में “ठेकुआ” प्रसाद का विशेष महत्व होता है. ठेकुआ का निर्माण पूरी शुद्धता के साथ किया जाता है. इसके लिए गेहूं के आटे का प्रयोग किया जाता है.
इसके लिए गेहूं को पूरी शुद्धता के साथ धोया जाता है. पटना में छठ व्रती मंगलवार सुबह से ही गंगा नदी में गंगा जल से उस गेहूं को धो रही हैं और घाट पर ही उसे सुखा रही हैं. इस सूखे हुए गेहूं से आटा तैयार किया जाएगा. उसी आटे से खरना और छठ के प्रसाद का निर्माण किया जाएगा.
पटना के हनुमान नगर के रहने वाले छठ व्रती मनीष कुमार ने से बात करते हुए बताया, “छठ पर ठेकुआ बनाने के लिए हम लोग गंगा घाट पर आते हैं. हम यहीं गेहूं को सुखा लेते हैं. इसके बाद कल इसको पीसने के लिए दिया जाएगा. इसके बाद इसका ठेकुआ बनेगा. इस गेहूं से रोटी भी बनती है. इस गेहूं को कुछ लोग अपने घरों में पीसते हैं, कुछ लोग आटा चक्की पर पिसवाते हैं. इसमें पवित्रता का खास ध्यान दिया जाता है. जो लोग आटा मिल में आटा पिसवाते हैं, उसमें भी स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है. मिल को धुलवाया जाता है. फिर आटा पिसता है.”
पटना की रहने वाली एक अन्य महिला ने इसकी जानकारी देते हुए को बताती हैं, “हम 2013 से लगातार छठ पूजा कर रहे हैं. छठ पूजा के दौरान, जब हम प्रसाद तैयार करते हैं, तो गेहूं को छठ के दिन गंगा के पानी में धोते हैं. अगर गंगा का पानी उपलब्ध नहीं है, तो कुएं या नल का पानी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन घर के पानी का इस्तेमाल नहीं करते. इस समय, चना दाल, चावल, सब्जी जैसी चीजों को अच्छे से धोकर पकाया जाता है.”
उन्होंने कहा, “पूजा में जो व्रत करते हैं, वे 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं, जो एक बहुत कठिन तपस्या है. इस कठिन उपवास के बावजूद, हमें शक्ति कहां से मिलती है? वह शक्ति भगवान से मिलती है. अगर भगवान का आशीर्वाद और शक्ति न हो, तो हम इस कठिन उपवास को नहीं कर सकते. हम भगवान पर पूरी तरह विश्वास रखते हैं और उनकी कृपा से ही सब कुछ संभव है. हम हर समय भगवान से प्रार्थना करते हैं और उनसे शक्ति प्राप्त करने की उम्मीद करते हैं.”
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पीएसएम/