राजेंद्र पाल गौतम के कांग्रेस में शामिल होने पर बोली भाजपा, ‘महाराष्ट्र की जनता सिखाएगी सबक’

नई दिल्ली, 6 सितंबर . हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अपशब्दों का प्रयोग करने वाले केजरीवाल सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम को कांग्रेस में शामिल करने की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता इसका जवाब देगी. ‘गणपति जी कौन हैं’, यह महाराष्ट्र की जनता बताएगी.

भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि राजेंद्र पाल गौतम और राहुल गांधी की सोच एक जैसी ही है. सोच के मामले में दोनों मौसेरे भाई जैसे हैं और आज दोनों का मिलाप हो गया है.

उन्होंने कहा कि ‘आप’ में रहने के दौरान राजेंद्र पाल गौतम ने कहा था कि वे भगवान राम और कृष्ण को नहीं मानते हैं और ना ही उनकी पूजा करेंगे. सोनिया गांधी के कहने पर यूपीए सरकार के कार्यकाल में हलफनामा देकर यह कहा गया था कि भगवान राम का अस्तित्व नहीं है.

पात्रा ने कांग्रेस, राहुल गांधी और गांधी परिवार को निशाने पर लेते हुए कहा कि राजेंद्र पाल गौतम ने यह भी कहा था कि ये गणपति कौन हैं, वे इनको नहीं मानते हैं और ना ही इनकी पूजा करेंगे. उन्होंने कहा कि इसका जवाब महाराष्ट्र की जनता देगी. महाराष्ट्र की जनता पूरे राज्य में धूमधाम से गणपति उत्सव मनाती है. महाराष्ट्र की जनता के कारण ही आज पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर धूमधाम से गणपति का उत्सव मनाया जाता है. राहुल गांधी आज ऐसे नेता के साथ खड़े हैं, जिन्हें यह भी मालूम नहीं है कि गणपति जी कौन हैं.

उन्होंने आगे कहा कि अब राहुल गांधी यह बताएं कि क्या वह गणपति की पूजा करेंगे या नहीं? क्या राजेंद्र पाल गौतम के आने के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के सारे नेता गणपति की पूजा नहीं करेंगे? राहुल गांधी को इसका भी जवाब देना चाहिए.

भारतीय पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के कांग्रेस में शामिल होने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए संबित पात्रा ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर कोई किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो सकता है. हरियाणा में भाजपा को हराने के लिए इंडिया गठबंधन के दलों द्वारा त्याग और बलिदान देने के अखिलेश यादव के बयान पर कटाक्ष करते हुए भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली. ये क्या त्याग करेंगे.अखिलेश यादव हों या सोनिया गांधी या लालू यादव, इनका मकसद जनता के लिए त्याग करना नहीं बल्कि अपने-अपने परिवार को सेट करना है. इनके लिए त्याग तो कोई शब्द ही नहीं है. इन्हें तो बस कुर्सी से मतलब है.

एसटीपी/एबीएम