प्रशांत किशोर के आंदोलन पर तेजस्वी यादव ने कहा, ‘छात्रों से लेना-देना नहीं, एक फिल्म दिखाई जा रही है’

पटना, 6 जनवरी . जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) रद्द करने की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन को लेकर बयानों का दौर जारी है. एक बार फिर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि किसी को छात्रों से कोई लेना-देना नहीं है, पूरे तरीके से एक फिल्म दिखाई जा रही है. एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है, इसमें और कुछ कहने की जरूरत नहीं है, समझने वाले तो समझते ही हैं, कौन लोग क्या कर रहे हैं.

कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद यात्रा पर कैमूर जाने से पहले पत्रकारों से चर्चा के दौरान तेजस्वी यादव ने आंदोलन को लेकर कहा कि एक कहानी लिखी गई है, उसमें एक डायरेक्टर है, एक प्रोड्यूसर है, निर्देशक भी है और उसमें एक्टर भी है. वैनिटी वैन भी है और कौन यह सब कर रहा है, किस वजह से कर रहा है, सब समझते हैं.

उन्होंने आगे यह भी कहा, “इस पर हमें कुछ टीका-टिप्पणी नहीं करनी है. यह फिल्म है, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, एक्टर है, वैनिटी वैन है. खत्म कहानी. फिल्म है, देखिए. यह भाजपा की बी टीम है.”

तेजस्वी यादव ने आगे कहा, “एक बात समझ जाइए कि सीएम नीतीश कुमार टायर्ड हैं और सरकार रिटायर ऑफिसर चला रहे हैं. मुख्यमंत्री पूरी तरह से हाईजैक हो गए हैं. बिहार में पुलिस अपराधियों के आगे घुटने टेक चुकी है. आज भी 156 आपराधिक घटनाओं की एक लिस्ट हमने जारी की है. यह सच्चाई है, अब नीतीश कुमार की क्रेडिबिलिटी नहीं रही.”

तेजस्वी यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा, “पहले कुछ कहां था. सबकुछ तो नीतीश कुमार ने बना दिया. पहले किसी को कपड़ा पहनने को नहीं था, नीतीश कुमार ने कपड़ा पहना दिया. पहले किसी की शक्ल अच्छी नहीं थी, तो नीतीश कुमार ने शक्ल अच्छी बना दी. पहले सब चीज बर्बाद थी. संसार को बचाने वाले नीतीश कुमार हैं. अब कुछ बचा कहां है, करने को.”

उन्होंने कहा कि इस तरह की भाषा को सब लोग समझ रहे हैं कि किस अवस्था में नीतीश कुमार पहुंच गए हैं. उनको इतिहास जानना चाहिए. उनको लगता है कि सारा कुछ उन्हीं का किया हुआ है. उनको पता ही नहीं है कि पहले क्या-क्या होता था, इसलिए ज्यादा हम क्या बोलें उस पर.

बीपीएससी परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर जारी आंदोलन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी को लेकर तेजस्वी यादव ने कहा कि जितना उनसे लोग बुलवाते हैं, उतना ही वे बोलते हैं. जितना ट्रेनिंग दिया जाता है, उतना ही बोल पाते हैं. निर्णय लेने की स्थिति में वे अब नहीं हैं. दो-चार अधिकारी, दो-चार नेता, जो भाजपा से मिले हुए हैं, वही सिखाते हैं और उतना ही बोलते हैं और कहां बोलना है, वही तय करते हैं.

एमएनपी/एबीएम