नई दिल्ली, 1 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन की देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पूजा करने से मन को अपार शांति मिलती है.
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने कहा, “नवरात्रि पर देवी मां की पूजा करने से मन को अपार शांति मिलती है.”
उन्होंने दिवंगत महान शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी का एक भजन भी पोस्ट किया, जिसमें कहा गया, “देवी को समर्पित यह भावपूर्ण भजन मंत्रमुग्ध कर देने वाला है.” यह गीत देवी के आशीर्वाद का आह्वान करता है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भक्तों को शुभकामनाएं देते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, “पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता. प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥ जगत जननी मां जगदम्बा की आराधना के महापर्व चैत्र नवरात्रि के पावन तृतीय दिवस पर माँ चन्द्रघण्टा प्रदेश वासियों एवं भक्तजनों का कल्याण करें, ऐसी प्रार्थना है. जय मां चन्द्रघण्टा!”
देशभर के मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी है. लोग सुबह-सुबह ही मंदिरों के बाहर लाइन में लग गए.
नवरात्रि के तीसरे दिन, देवी दुर्गा की पूजा माता चंद्रघंटा के रूप में की जाती है, जिन्हें दस भुजाओं के साथ दर्शाया गया है, जिनमें से प्रत्येक में एक हथियार, एक कमल का फूल या आशीर्वाद की मुद्रा (अभय मुद्रा) है. वह अपने शांत लेकिन मजबूत स्वरूप के लिए जानी जाती हैं और माना जाता है कि वह अपने भक्तों को शांति, बहादुरी और सफलता दिलाती हैं. देवी के माथे पर अर्धचंद्र है, यही वजह है कि उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. वह कठिनाइयों को दूर करने और आंतरिक शक्ति देने के लिए जानी जाती हैं.
नवरात्रि, जिसका संस्कृत में अर्थ है ‘नौ रातें’, देवी दुर्गा और उनके नौ अवतारों का उत्सव मनाने वाला त्योहार है, जिन्हें सामूहिक रूप से नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है. यह त्यौहार पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जिसमें देवी के विभिन्न रूपों का सम्मान करने के लिए अनुष्ठान और प्रार्थनाएं की जाती हैं.
भारत के सबसे महान शास्त्रीय संगीतकारों में से एक पंडित भीमसेन जोशी की भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां, जैसे “भज मन राम चरण सुखदायी” और “जो भजे हरि को सदा”, आज भी श्रोताओं के दिलों को छूती हैं. पंडित भीमसेन जोशी को कई सम्मानों से नवाजा गया, जिनमें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न, पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण शामिल हैं. उनका निधन 24 जनवरी 2011 को पुणे में हुआ, लेकिन उनकी संगीतमय विरासत आज भी जीवित है.
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एकेएस/एएस