Mumbai , 13 जुलाई . कांग्रेस नेता और Rajasthan के पूर्व Chief Minister अशोक गहलोत ने Sunday को Mumbai दौरे के दौरान हर भाषा और धर्म का सम्मान करने का आह्वान किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषाई मतभेदों पर झगड़ा अनावश्यक है.
गहलोत की यह टिप्पणी Maharashtra में स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने को लेकर चल रहे विवाद और Maharashtra नवनिर्माण सेना (मनसे) से जुड़ी कई हिंसक घटनाओं के बाद आई है. हाल ही में मनसे के कार्यकर्ताओं को मराठी में बात न करने पर गैर-मराठी भाषी लोगों पर हमला करते देखा गया था.
गहलोत ने संवाददाताओं से कहा, “ज्ञान ही शक्ति है. कोई भी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है. आपको भाषाएं सीखनी ही चाहिए. भाषा के मामले में कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए. कुछ लोग पांच भाषाएं तक जानते हैं.”
बदलते सामाजिक नजरिए को याद करते हुए गहलोत ने कहा, “जब हम छोटे थे, तब हम भी अंग्रेजी के खिलाफ थे, लेकिन अब समय बदल गया है. इस नए जमाने में अंग्रेजी जरूरी हो गई है, इसलिए हम अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं. ऐसे में भाषाओं को लेकर झगड़ा करना गलत है. लोगों को हर भाषा और हर धर्म का सम्मान करना चाहिए.”
यह विवाद तब शुरू हुआ जब Maharashtra Government ने दो Governmentी प्रस्ताव जारी किए और बाद में उन्हें वापस ले लिया, जिनमें कक्षा 1 से 5 तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का प्रस्ताव था.
इस कदम पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया हुई और मनसे जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने भी विरोध-प्रदर्शन किया.
इसके अलावा, शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने भी मराठी भाषी राज्य पर हिंदी थोपने के लिए Government की आलोचना की.
वहीं, Maharashtra Government ने दो Governmentी प्रस्तावों (जीआर) को रद्द कर दिया है, जिनमें कक्षा 1 से 5 तक के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में लागू करने की मांग की गई थी.
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एससीएच/एबीएम