नई दिल्ली, 14 जून . सूर्य देव जब मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस ज्योतिषीय घटना को मिथुन संक्रांति कहते हैं. यह सूर्य के वृषभ राशि से मिथुन राशि में गोचर करने का दिन है, जिसे वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है. इस दिन, सूर्य देव की पूजा करने और दान करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस साल मिथुन संक्रांति 15 जून को मनाई जाएगी. दक्षिण भारत में संक्रांति को संक्रमणम् कहा जाता है.
स्कंद पुराण में बताया गया है कि इस दिन नदियों में स्नान करते हैं, और दान करते हैं और भगवान सूर्य तथा श्री हरि नारायण विष्णु की पूजा की जाती है. जिससे पुण्य प्राप्त होता है और ग्रह दोष शांत होते हैं. इसके साथ ही घर में समृद्धि भी आती है. ज्योतिषियों की मानें तो इस बार मिथुन संक्रांति के शुभ अवसर पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है.
दृक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मिथुन संक्रांति का समय 15 जून, सुबह 06:53 से 09:12 तक रहेगा. यानी कि दो घंटे बीस मिनट के लिए महापुण्य काल का समय रहेगा. यह समय अत्यंत पावन और फलदायी होता है, और इसमें स्नान, दान व जप आदि धार्मिक कार्य करना विशेष फलदायक माना गया है. यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश महापुण्य काल में यह कर्म न कर पाए, तो वह पुण्य काल के दौरान भी इन शुभ कार्यों को कर सकता है.
इस दिन आप किसी राहगीर, ब्राह्मण, पुजारी या गरीब को मसूर की दाल, चावल, चीनी, साबुत मूंग, हरी सब्जियां, नमक, विष्णु चालीसा, गन्ने का रस, दूध, दही, गुड़, मसूर, केसर मिश्रित दूध, काले तिल, उड़द की दाल, चमड़े की चप्पल, जूते दान कर सकते हैं.
ज्योतिषियों की मानें तो मिथुन संक्रांति के शुभ अवसर पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान शिव दोपहर 3 बजकर 51 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे.
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एनएस/केआर