15 अगस्त को ‘शोले’ ही नहीं, ये फिल्म भी हुई थी रिलीज, धर्मेंद्र-अमिताभ की मूवी को दी थी टक्कर, तोड़े थे कई रिकॉर्ड

Mumbai , 14 अगस्त . 15 अगस्त हमारी आजादी का दिन. ऐसे में देश के साथ ही फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी ये दिन बेहद खास है. भारतीय सिनेमा के इतिहास में ये दिन इसलिए भी अमर है कि 1975 में दो अलग-अलग जॉनर की फिल्मों ने सिनेमाघरों में दस्तक दी थी. अमिताभ बच्चन-धर्मेंद्र स्टारर ‘शोले’ और कम बजट की ‘जय संतोषी मां’ दोनों इसी दिन रिलीज हुई थी.

‘शोले’ ने एक्शन, ड्रामा और दोस्ती की कहानी से दर्शकों को बांधा, वहीं ‘जय संतोषी मां’ ने भक्ति और आस्था के रंग में रंगकर बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया. इन दोनों फिल्मों ने न केवल दर्शकों का दिल जीता, बल्कि कई रिकॉर्ड्स भी तोड़े और भारतीय सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी. ‘शोले’ जहां अपनी भव्यता और स्टार पावर के लिए जानी गई, वहीं ‘जय संतोषी मां’ ने सादगी और आस्था के दम पर दर्शकों का दिल जीता. दोनों फिल्मों की एक साथ रिलीज ने सिनेमाई इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा.

रमेश सिप्पी की ‘शोले’ को भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक माना जाता है. धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार और अमजद खान जैसे सितारों से सजी यह फिल्म एक मल्टी-स्टारर मास्टर पीस थी. सलीम-जावेद की लेखनी और आर.डी. बर्मन के संगीत ने इसे एक अलग मुकाम दिया. ‘ये दोस्ती’, ‘महबूबा-महबूबा’ और ‘होली के दिन’ जैसे गाने आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं.

‘शोले’ की कहानी जय और वीरू की दोस्ती, ठाकुर के बदले की आग और गब्बर की खलनायकी के इर्द-गिर्द घूमती है. शुरुआत में फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली, लेकिन धीरे-धीरे यह दर्शकों की पसंद बन गई. ‘शोले’ ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर कमाई के रिकॉर्ड बनाए, बल्कि सिनेमाघरों में वर्षों तक चलकर इतिहास रच दिया. इसकी डायलॉगबाजी, जैसे ‘कितने आदमी थे?’ और ‘बसंती, इन…के सामने मत नाचना’ आज भी लोगों की जुबां पर हैं.

दूसरी ओर, विजय शर्मा के निर्देशन में बनी ‘जय संतोषी मां’ एक कम बजट की धार्मिक फिल्म थी, जिसने ‘शोले’ जैसी भव्य फिल्म को कड़ी टक्कर दी. कांता गुप्ता, अनीता गुहा और भारत भूषण जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म ने संतोषी मां की भक्ति को केंद्र में रखा. यह फिल्म एक ऐसी स्त्री की कहानी थी, जो अपनी आस्था और भक्ति से कठिनाइयों को पार करती है.

माना जाता है कि फिल्म को सुपरहिट करवाने में गायकों का बहुत बड़ा हाथ था. फिल्म का हर एक गाना सुपरहिट था. ‘मैं तो आरती उतारूं रे, संतोषी माता की’ भजन के साथ सिनेमा हॉल में मौजूद दर्शक भक्ति के रस में डूब जाते थे. गायिका उषा मंगेशकर ने इस गाने को गाया था और सी. अर्जुन ने संगीत दिया था. यह सिलसिला यहीं नहीं रूका और आगे चलकर इसी गाने को मंदिरों में संतोषी माता की आरती के रूप में गाया जाने लगा.

फिल्म के अन्य गानों पर नजर डालें तो ‘जय जय संतोषी माता, जय जय मां’, ‘यहां-वहां जहां तहां देखूं’, ‘करती हूं तुम्हारा व्रत मैं’, ‘मदद करो संतोषी माता’ ने भी उस समय खूब धमाल मचाया.

फिल्म की रिलीज के बाद लोग सिनेमाघरों में मूवी देखते वक्त आरती करने लगे और मंदिरों में संतोषी मां की मूर्तियां स्थापित होने लगीं. यही नहीं, थिएटर में लोग चप्पल उतारकर जाया करते थे और स्क्रीन पर पैसे भी उछाला करते थे.

यह फिल्म कम लागत में बनी थी, लेकिन इसने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई कर कई रिकॉर्ड तोड़े. फिल्म सिनेमाघरों में 45 हफ्ते से ज्यादा चली थी.

एमटी/जीकेटी