हैदराबाद, 25 जुलाई . तेलंगाना हाईकोर्ट ने Friday को आईएएस अधिकारी वाई. श्रीलक्ष्मी को ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) से जुड़े अवैध खनन मामले में बड़ा झटका देते हुए उनकी डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी है.
अधिकारियों के अनुसार, श्रीलक्ष्मी ने सीबीआई की विशेष अदालत के अक्टूबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए खुद को आरोपी से मुक्त करने की मांग की थी.
श्रीलक्ष्मी वर्ष 2009 से जुड़े इस बहुचर्चित मामले में आरोपी नंबर 6 हैं. इस केस में मई 2025 में सीबीआई की विशेष अदालत ने कर्नाटक के भाजपा विधायक गाली जनार्दन रेड्डी सहित चार लोगों को सात-सात साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, उस समय विशेष अदालत ने श्रीलक्ष्मी की भूमिका पर कोई फैसला नहीं दिया था, क्योंकि उन्होंने पहले ही विशेष अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी.
हाईकोर्ट ने पहले श्रीलक्ष्मी की याचिका को स्वीकार करते हुए विशेष अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था. इसके बाद सीबीआई ने Supreme court का रुख किया और आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को सुने बिना ही निर्णय दे दिया.
Supreme court ने मई 2025 में इस मामले को वापस हाईकोर्ट को भेज दिया और तीन महीने के भीतर याचिका पर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था.
सीबीआई ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि श्रीलक्ष्मी ने उस समय उद्योग विभाग की सचिव रहते हुए ओएमसी को अनुचित लाभ पहुंचाया. एजेंसी के अनुसार, श्रीलक्ष्मी और तत्कालीन खान निदेशक डी. राजगोपाल ने अन्य आवेदकों से बड़ी रिश्वत मांगी, जबकि ओएमसी और इसके प्रमोटरों गली जनार्दन रेड्डी व बीवी श्रीनिवास रेड्डी को विशेष लाभ दिए.
सीबीआई का दावा है कि उनकी इन कार्यवाहियों से ओएमसी को भारी वित्तीय लाभ हुआ, जिससे उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला बनता है.
इस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने 6 मई 2025 को गाली जनार्दन रेड्डी, उनके रिश्तेदार बीवी श्रीनिवास रेड्डी (ओएमसी के प्रबंध निदेशक), डी. राजगोपाल (खनन विभाग के तत्कालीन निदेशक) और जनार्दन रेड्डी के सहायक अली खान को सात साल की सजा सुनाई थी.
वहीं, आंध्र प्रदेश की तत्कालीन गृह मंत्री साबिता इंद्रा रेड्डी और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी. कृपानंदम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था. बाद में, तेलंगाना हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें सशर्त जमानत दे दी थी.
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