भुवनेश्वर , 28 दिसंबर . ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में कारीगर निराकार महराना पिछले पांच साल से नीम की लकड़ी से भगवान जगन्नाथ की मूर्ति तैयार कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस मूर्ति को बनाने में कहीं भी गोंद या कील का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
निराकार महराना ने बताया कि वह पांच साल से भगवान जगन्नाथ की मूर्ति तैयार कर रहे हैं. यह जगन्नाथ मंदिर की प्रति छवि है. इस पर करीब 70 फीसदी काम हो चुका है और अभी 30 फीसद काम बाकी है.
उन्होंने कहा, “लोगों को यह भी लगता है कि इसमें कील ठोकी गई है. इसलिए मैंने इसे बाहर प्रदर्शित किया है जिससे यहां आकर लोग देखें और अगर किसी को शक है तो वह शंका दूर करें. यह एक ही लकड़ी में बनाई गई है. नीम की लकड़ी से यह प्रतिमा तैयार हुई है. इसमें गोंद और कील का प्रयोग नहीं किया गया है.”
मूर्ति बनाने के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि मन में ख्याल आया कि ऐसी प्रतिमा बनानी चाहिए. पांच साल की मेहनत के बाद इसे सामने रखा गया है. चूंकि मैं विश्वरूप में इस प्रतिमा को बना रहा हूं तो जाहिर है इसमें 33 करोड़ देवी देवताओं की छवि भी होगी. उन्होंने कहा कि अगर आपके पास कोई प्रतिभा है तो उसे दुनिया को जरूर दिखाना चाहिए.
गहरी भक्ति और असाधारण शिल्प कौशल से प्रेरित निराकार महराना ने कहा कि उनका लक्ष्य जटिल नक्काशी के माध्यम से मूर्ति पर 33 करोड़ देवताओं को चित्रित करना है. एक बार काम पूरा होने के बाद, इसे मंदिर के अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा. उनका सपना है कि यह मूर्ति पूजा के लिए गुंडिचा मंदिर में रखी जाए जिससे यहां आने वाले भक्त साल भर इसकी पवित्रता का अनुभव कर सकें.
–
डीकेएम/एकेजे