मोटापा व धूम्रपान अल्जाइमर के मुख्य कारण : विशेषज्ञ

नई दिल्ली, 24 जून . स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मोटापा और धूम्रपान से अल्जाइमर रोग हो सकता है. उन्होंने विशेष रूप से युवा वयस्कों में दोनों ही चीजों को काबू करने की आवश्यकता पर बल दिया.

अल्जाइमर एक तेजी से फैलने वाला न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज है. यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है.

यह याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक कार्यों को हानि पहुंचाता है. इससे दैनिक कार्य करने में परेशानी आने लगती है.

विशेषज्ञों ने बताया कि मोटापा और धूम्रपान वैस्कुलर डिमेंशिया के प्रमुख कारक हैं. धूम्रपान के कारण होने वाली सूजन के कारण अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है.

दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल ने को बताया, ”धूम्रपान से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, इससे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है. मोटापा सूजन और इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.”

हाल ही में द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि इसके प्रमुख जोखिम कारकों पर अंकुश लगाना महत्वपूर्ण है. दुनिया में याददाश्त के मामले 2050 तक तीन गुना हो जाएंगे. इसमें 153 मिलियन लोग कम याददाश्त के साथ जी रहे होंगे.

अल्जाइमर, याददाश्त खत्म होने का सबसे आम कारण है. यह 60 से 80 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. इसके तेजी से बढ़ने की उम्‍मीद होती हैै.

मणिपाल अस्पताल द्वारका के एचओडी और क्लस्टर हेड न्यूरोसर्जरी डॉ. अनुराग सक्सेना ने को बताया, ”धूम्रपान मोटापा मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों का भी कारण बनता है, जो अल्जाइमर के लिए जोखिम कारक माने जाते हैं. इन स्थितियों की उपस्थिति मस्तिष्क के स्वास्थ्य को खराब करती है, जबकि सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ावा देती है. इससे याददाश्त में कमी आती है और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ता है.”

इसके अतिरिक्त मोटापा चयापचय कार्यों और इंसुलिन संकेतन को बाधित करता है, इससे न्यूरोडीजनरेशन का खतरा बढ़ जाता है. दूसरी ओर, धूम्रपान मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को बढ़ाता है, इससे अल्जाइमर का विकास बढ़ जाता है.

डॉ. अनुराग ने कहा,” सिगरेट में मौजूद हानिकारक रसायन, जैसे निकोटीन और टार रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और रक्त प्रवाह में बाधा डालते हैं. धूम्रपान न केवल अल्जाइमर को तेज कर सकता है, बल्कि याददाश्त की कमी के अन्य रूपों को भी बढ़ा सकता है.”

इसके अलावा, जिन लोगों के परिवार में अल्जाइमर का इतिहास रहा है, और वह धूम्रपान करते हैं, उनमें यह बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है.

पुणे के डीपीयू सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. शैलेश रोहतगी ने को बताया कि उन्होंने संतुलित जीवनशैली और खान-पान की आदतों को बनाए रखने और निरंतर जांच करने की सलाह दी है, क्योंकि विभिन्न जीवनशैली के कारण कम उम्र में भी याददाश्त संबंधी बीमारी का खतरा बना रहता है.

उन्होंने दैनिक गतिविधियों पर भी जोर दिया, जो सिर्फ शारीरिक गतिविधि ही नहीं बल्कि मस्तिष्क को भी सक्रिय रखती हैं. उन्‍होंने सलाह देते हुए कहा कि बोर्ड गेम जैसी मानसिक गतिविधियों को शामिल करना इसमें महत्वपूर्ण हो सकता है.

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