मुंबई, 29 फरवरी . जाने-माने परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोडकर ने कहा है कि जब दुनिया प्रगति और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौतियों से जूझ रही है, भारत के विकसित देश बनने और ‘नेट-जीरो’ के लक्ष्य हासिल करने में परमाणु ऊर्जा ‘गेम-चेंजर’ साबित हो सकती है.
‘देश की वृद्धि एवं विकास के लिए एक व्यवहार्य समाधान’ के रूप में परमाणु ऊर्जा की बड़े पैमाने पर तैनाती की आवश्यकता की वकालत करते हुए, काकोडकर ने कहा कि यह एक तरफ विकास लक्ष्यों को पूरा करने और दूसरी तरफ समय पर नेट-जीरो को सक्षम करने की दोहरी चुनौती का समाधान कर सकता है.
परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के पूर्व अध्यक्ष ने अरुण नायक (59); सम्यक मुनोत (31); और ज्येष्ठराज जोशी (80) द्वारा लिखित और सुंदरम डिजिटल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा विकल्प और परमाणु ऊर्जा की प्रासंगिकता” के लोकार्पण के मौके पर यह बात कही.
यह पुस्तक भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की सीमाओं और जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए परमाणु ऊर्जा की भविष्य की भूमिका पर प्रकाश डालती है.
तीनों लेखकों ने अपनी पुस्तक में इस बात पर जोर दिया है कि परमाणु ऊर्जा देश की दीर्घकालिक बिजली मांगों को पूरा करने के लिए स्वच्छ, हरित, सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
नायक ने कहा कि छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर बंद किये जा चुके कोयला संयंत्रों को पुनर्जीवित करके और कोयला आधारित कैप्टिव बिजली संयंत्रों को प्रतिस्थापित करके तेजी से ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देंगे.
उन्होंने बताया, “देश में ऐसे कई सौ रिएक्टरों को तैनात करने की उम्मीद है, और इसलिए यह उम्मीद है कि लागत नवीकरणीय सहित पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी होगी.”
जोशी ने स्वीकार किया कि देश के उद्योग को “सेवा-प्रधान क्षेत्र से कोर इंजीनियरिंग-प्रधान क्षेत्र” में बदलना होगा, जिसका अर्थ है कि वैश्विक आयातक से वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनने की आवश्यकता है.
मुनोत ने युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि युवाओं के पास राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए परमाणु ऊर्जा की क्षमता को अनलॉक करने की कुंजी है.
नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और संबंधित नागरिकों के लिए निर्देशित यह प्रकाशन, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में तेजी से बदलाव की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है और आसन्न पर्यावरणीय तबाही और जलवायु परिवर्तन को कम करने में परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है.
यह पुस्तक भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारे ग्रह की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों के लिए कार्रवाई के आह्वान के साथ, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संक्रमण और सतत विकास के जटिल संबंधों को सुलझाने के लिए एक रोडमैप प्रदान करती है.
यह परमाणु ऊर्जा की बारीकियों और मानव जाति की भलाई के लिए इसके विभिन्न सामाजिक एप्लिकेशनों के बारे में लोगों को शिक्षित और जागरूक करने की आशंकाओं को दूर करने का भी प्रयास करता है.
इस कार्यक्रम में ए.ई.सी. अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव ए.के. मोहंती, बार्क के निदेशक विवेक भसीन, नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत, पूर्व एईआरबी अध्यक्ष एस.एस. बजाज और आईसीटी के प्रोफेसर एमेरिटस एम.एम. शर्मा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे.
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एकेजे/