हजारीबाग, 24 मार्च . झारखंड के हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या के 15 दिन बाद पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए चार अपराधियों को गिरफ्तार किया है. यह वारदात छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल में बंद गैंगस्टर अमन साहू (अब मृत) के गैंग ने अंजाम दी थी.
हजारीबाग के डीआईजी संजीव कुमार ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अमन साहू के गैंग ने एनटीपीसी के अलावा हजारीबाग-चतरा इलाके में खनन कार्य करने वाली कंपनियों बीजीआर, ऋत्विक और त्रिवेणी सैनिक के अफसरों-कर्मियों में खौफ पैदा करने के लिए इस वारदात की प्लानिंग की थी. इस वारदात के तीन दिन बाद 11 मार्च को गैंगस्टर अमन साहू रायपुर जेल से रांची लाए जाने के दौरान उस वक्त मुठभेड़ में मारा गया था, जब उसके गैंग ने रास्ते में पुलिस की गाड़ी पर बमों से हमला कर दिया था और इसका फायदा उठाकर अमन एक पुलिसकर्मी का हथियार छीनकर भाग रहा था.
डीजीएम हत्याकांड की जांच के लिए गठित एसआईटी ने तकनीकी साक्ष्यों और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जिन चार अपराधियों को गिरफ्तार किया है, वे अमन साहू गैंग के लिए काम करते थे. इन अपराधियों में मिंटू कुमार पासवान, राहुल मुंडा, मनोज माली और अजय यादव शामिल हैं.
डीआईजी संजीव कुमार ने कहा कि एसआईटी ने अपराधियों की मूवमेंट को ट्रैक करते हुए अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर इन्हें गिरफ्तार किया. वारदात का मुख्य शूटर मिंटू पासवान उर्फ छोटा छत्री था. जिस बाइक पर वह सवार था, उसे राहुल मुंडा उर्फ मिरिंडा चला रहा था. डीजीएम की रेकी मनोज माली ने की थी, जबकि हथियार की सप्लाई अजय यादव ने की थी. पुलिस ने इनके पास से 7.65 बोर की पिस्टल, तीन जिंदा गोलियां, वारदात में इस्तेमाल की गई लाल रंग की बिना नंबर की पल्सर बाइक, नकद रुपए, पांच मोबाइल फोन और वारदात के दौरान पहने गए कपड़े बरामद किए हैं.
इन अपराधियों से पूछताछ में यह भी सामने आया कि कोयला माफिया लंबे समय से इलाके में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए खौफ का माहौल बना रहा था. लेवी वसूली के लिए अपराधियों को हर महीने मोटी रकम दी जाती थी. वारदात के दौरान पकड़े न जाने के लिए अपराधियों को खास मोबाइल ऐप से निर्देश दिए गए थे, ताकि पुलिस उनकी कॉल या लोकेशन ट्रैक न कर सके. मुख्य साजिशकर्ता अजय यादव पहले से कई संगीन मामलों में वांछित था और इस घटना के पीछे भी उसका बड़ा रोल रहा.
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एसएनसी/एबीएम