नई दिल्ली, 28 जून . उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आयातित कोयला घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी एनआरआई को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.
आरोपी अहमद एआर बुहारी की ओर से पेश वकील ने न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ से विशेष अनुमति याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया. वकील ने बुहारी के जमानत के लिए भी उचित कोर्ट में जाने की इजाजत भी मांगी. पीठ में न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह भी शामिल थे.
आरोपी बुहारी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए पीठ ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी.
इसके पहले आठ मार्च के अपने आदेश में, मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा था कि बुहारी ने याचिकाएं दायर करना जारी रखा और याचिका लंबित होनेे का दावा करते हुए मुकदमे को लंबा खींचा और खुद पर जांच में देरी को आमंत्रित किया.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोस्टल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई के प्रमोटर बुहारी और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) के अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी.
जांच से पता चला कि बुहारी कोस्टल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, कोल एंड ऑयल ग्रुप दुबई और मॉरीशस व ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में स्थित अन्य अपतटीय संस्थाओं को नियंत्रित कर रहे थे.
पीएसयू को निम्न गुणवत्ता का कोयला दिया गया था. इसके लिए सीईपीएल या एमएमटीसी द्वारा निविदाएं जारी और निष्पादित की गई थीं. सीईपीएल द्वारा सीधे या एमएमटीसी के माध्यम से निम्न गुणवत्ता का कोयला अधिक मूल्य पर फर्जी सैम्पल और विश्लेषण प्रमाणपत्र (सीओएसए) के साथ आपूर्ति की गई थी. कोयले की वास्तविक गुणवत्ता को दर्शाने वाले मूल सीओएसए को दबा दिया गया था.
जांच के दौरान यह भी पता चला कि बुहारी ने अधिक मूल्य पर निम्न गुणवत्ता के कोयलेे की आपूर्ति कर 564.48 करोड़ रुपये अर्जित किए.
–
/