फिलीपींस के “समुद्री क्षेत्र अधिनियम” को कानून बनाने पर एनपीसी की विदेश मामलों की समिति ने जताया व‍िरोध

बीज‍िंग, 9 नवंबर . 8 नवंबर को फिलीपींस ने “समुद्री क्षेत्र अधिनियम” पर हस्ताक्षर कर इसे कानून बना दिया गया. इस पर चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा यानी एनपीसी की विदेश मामलों की समिति ने एक बयान जारी किया.

बयान में कहा गया है कि चीन के कड़े विरोध और गंभीर अभ्यावेदन की अनदेखी करते हुए 8 नवंबर को फिलीपींस ने तथाकथित “समुद्री क्षेत्र अधिनियम” पारित करने पर जोर दिया. फिलीपींस ने अवैध रूप से चीन के हुआंगयेन द्वीप और नानशा द्वीपों के अधिकांश द्वीपों और चट्टानों और संबंध‍ित जल क्षेत्र को फिलीपींस के समुद्री क्षेत्र में शामिल कर लिया है, और घरेलू कानून के माध्यम से दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले में अवैध फैसले को मजबूत करने का प्रयास किया गया है. इस कदम ने दक्षिण चीन सागर में चीन की प्रादेशिक अखंडता, संप्रभुता और समुद्री अधिकारों और हितों का गंभीर उल्लंघन किया. एनपीसी ने इस पर कड़ा विरोध जताया और इसकी कड़ी निंदा की.

नानशा द्वीप और उनके निकटवर्ती जल,और हुआंगयेन द्वीप सहित जोंगशा द्वीप और उनके निकटवर्ती जल पर चीन की संप्रभुता है और संबंधि‍त जल पर चीन का संप्रभु अधिकार और क्षेत्राधिकार है. चीन की इस प्रादेशिक अखंडता, संप्रभुता और समुद्री अधिकारों और हितों के पर्याप्त ऐतिहासिक और कानूनी आधार है.

फिलीपींस द्वारा तथाकथित मध्यस्थता की एकतरफा शुरुआत समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करती है. दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले में तदर्थ मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने अपने अधिकार क्षेत्र और कानून का उल्लंघन किया, और उसने जो निर्णय दिया, वह अवैध और अमान्य है. चीन दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले को अस्वीकार कर इसमें भाग नहीं लेता है और न ही वह फैसले के आधार पर किसी दावे या कार्रवाई को स्वीकार करता है. दक्षिण चीन सागर में चीन की प्रादेशिक अखंडता, संप्रभुता और समुद्री अधिकार और हित किसी भी परिस्थिति में इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे.

फिलीपींस द्वारा “समुद्री क्षेत्र कानून” और “आर्कसेलस और समुद्री लेन कानून” की घोषणा पर चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान भी जारी किया.

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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