अब युद्ध कई मोर्चों पर लड़े जा रहे हैं, भारत को इस नई रेस में आगे रहना है : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

New Delhi, 17 अक्टूबर . रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने Friday को नासिक में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की तीसरी उत्पादन लाइन को राष्ट्र को समर्पित किया. यह उपलब्धि India की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और सशक्त कदम है.

उन्होंने कहा कि यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि नासिक की टीम ने सुखोई-30 पर ब्रह्मोस मिसाइल को सफलतापूर्वक स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया. यह वही ब्रह्मोस है, जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया था. India की सुरक्षा से जुड़ा हुआ जो पूरा इतिहास है, उसमें महज कुछ ही पल ऐसे रहे हैं, जब एक साथ पूरे सिस्टम की असली परीक्षा ली गई है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ऐसा ही एक मिशन था. इस मिशन में हमारी सेनाओं ने न सिर्फ अपने शौर्य का परिचय दिया, बल्कि स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स पर अपने भरोसे को भी साबित किया.

उन्होंने कहा कि इस दौरान एचएएल की टीम ने 24 घंटे लगातार विभिन्न ऑपरेशन साइटों पर सपोर्ट दिया. लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई, जगुआर, मिराज, तेजस और हेलीकॉप्टर के मेंटेनेंस और रिपेयर तुरंत किए, ताकि भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियां बनी रहें. यह इस बात का प्रतीक था कि जब बात देश की सुरक्षा की आएगी, तो हम उपकरण खुद बना भी सकते हैं और उन उपकरणों से खुद की रक्षा भी कर सकते हैं. आज इस नई प्रोडक्शन लाइन के उद्घाटन के साथ, यहां ‘मेड इन इंडिया’ लड़ाकू और ट्रेनर विमानों के उत्पादन का भी एक नया युग शुरू हो रहा है. यह एक औद्योगिक उपलब्धि तो है ही, साथ ही साथ हमारे युवाओं, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की मेहनत, लगन और सपनों का प्रतिफल है. आज जब मैंने नासिक डिविजन में तैयार किए गए सुखोई-30, एलसीए और एचटीटी-40 विमानों की उड़ान देखी, तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया. उन विमानों की उड़ान रक्षा क्षेत्र में India की ‘आत्मनिर्भरता की उड़ान’ थी.

उन्होंने कहा कि एलसीए तेजस और एचटीटी-40 विमानों का निर्माण जो हो रहा है, वह भी हमारे देश के अलग-अलग इंडस्ट्री पार्टनर के योगदान का परिणाम है. यह सहयोग इस बात का प्रमाण है कि जब Government, इंडस्ट्री और शिक्षा क्षेत्र मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं रह जाती. हमें अब सिर्फ एलसीए तेजस या एचटीटी-40 तक सीमित नहीं रहना है. अब समय है कि हम अगली पीढ़ी के एयरक्राफ्ट, अनमैंड सिस्टम और सिविल एविएशन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाएं. पिछले छह दशकों से भी अधिक समय से, एचएएल नासिक ने India की रक्षा निर्माण क्षमता को, नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में, एक मजबूत स्तंभ की भूमिका निभाई है. नासिक एक तरफ रक्षा निर्माण यानी कि निर्माण का प्रतीक भी है, और दूसरी तरफ जरूरत पड़ने पर दुश्मनों के संहार की भी क्षमता रखता है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि एक समय था, जब देश रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों पर निर्भर था और लगभग 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे. आज इस स्थिति में बदलाव आया है, अब India 65 प्रतिशत निर्माण अपनी ही धरती पर कर रहा है. बहुत जल्द हम अपने घरेलू निर्माण को भी 100 प्रतिशत तक ले जाएंगे. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की सोच कोई आज की नहीं है. दस साल पहले से ही, Prime Minister के नेतृत्व में, हमारी Government ने यह स्पष्ट रूप से समझ लिया था कि बिना आत्मनिर्भर हुए, हम कभी भी वास्तविक रूप से सुरक्षित नहीं हो सकते.

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हम स्पेस में भी अपनी जगह मजबूत कर चुके हैं. आज हमारी एयरोस्पेस इंडस्ट्री भी तेजी से ग्रोथ कर रही है. हमने ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत, क्षेत्रीय निर्माण को प्रोत्साहित करने और एयरोस्पेस उपकरण के निर्माण जैसे कदम उठाए हैं. आज के समय में, युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं. आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर वॉरफेयर, ड्रोन सिस्टम और अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान जैसी चीजें भविष्य की दिशा तय कर रही हैं. अब युद्ध सिर्फ जमीन या आसमान में नहीं, बल्कि अनेक मोर्चों पर भी लड़े जा रहे हैं. India को इस नई रेस में हमेशा आगे रहना है.

जीसीबी/एबीएम