Tuesday , 21 March 2023

अब अपने पैरों पर खड़ी होगी वंदे भारत एक्सप्रेस! नहीं लगेंगे चीन के पहिये

मोदी सरकार ने देश में रेलवे का कायाकल्प करने के लिए व्यापक योजना बनाई है. अब तक तेज रफ्तार से चलने वाली दस वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों (Vande Bharat Express Trains) को शुरू किया जा चुका है और आने वाले दिनों में ऐसी सैकड़ों ट्रेनों को चलाने का लक्ष्य है. लेकिन इन ट्रेनों के लिए जरूरी ज्यादातर पहियों का अब भी विदेशों से आयात किया जा रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इन पहियों को चीन से मंगाया जा रहा है. लेकिन जल्दी ही यह स्थिति बदलने जा रही है. देश में पैसेंजर ट्रेनों पर लगने वाले फोर्ज्ड व्हील्स (forged wheels) अब भारत में ही तैयार होंगे. देश में इसका मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए रेलवे ने एक टेंडर निकाला था. इस प्लांट में हर साल 80,000 पहिए बनकर तैयार होंगे ताकि देश की जरूरतों को पूरा किया जा सके. इसे मेक इन इंडिया पहल के लिए अहम माना जा रहा है.

इस प्लांट के लिए तीन कंपनियों ने बोली लगाई थी. इसमें कोलकाता की कंपनी रामकृष्ण फोर्जिंग्स (Ramakrishna Forgings) के अलावा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) और भारत फोर्ज (Bharat Forge) ने भी बोली लगाई थी. इसकी प्राइस बिड मंगलवार को खोली गई. इसमें रामकृष्ण फोर्जिंग्स को एल1 घोषित किया गया है. कंपनी ने प्रति टन के लिए 1,88,100 रुपये की बोली लगाई थी. भारत फोर्ज ने 2,75,000 रुपये और सेल ने 2,89,500 रुपये की बोली लगाई थी. सफल बोलीकर्ता को अवॉर्ड मिलने से 36 महीने के भीतर मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाना होगा और सालाना 80,000 पहियों की आपूर्ति करनी होगी.

किन देशों से आते हैं पहिये

अभी सेल 1,87,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से पहियों की आपूर्ति कर रही है. अभी सेल की सालाना क्षमता 40,000 पहियों की है. आरआईएनएल की क्षमता 80,000 पहियों की है लेकिन कंपनी ने अभी तक रेगुलर कमर्शियल प्रॉडक्शन शुरू नहीं किया है. रेलवे लोकोमोटिव्स और कोचिंग स्टॉक्स में लगने वाले फोर्ज्ड व्हील्स का 1960 के दशक से आयात कर रहा है. इन्हें ब्रिटेन, चेक रिपब्लिक, ब्राजील, रोमानिया, जापान, चीन, यूक्रेन और रूस से मंगाया जाता है.फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में करीब 80,000 पहियों का आयात किया गया था. ये रूस और चीन से मंगाए गए थे और इन पर करीब 520 करोड़ रुपये का खर्च आया था. साथ ही 40,000 पहियों की आपूर्ति सेल ने की थी. रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई के कारण चीन से ही इन पहियों का आयात किया जा रहा है. 2026 तक देश में इन पहियों की मांग दो लाख तक पहुंचने का अनुमान है. इसकी वजह यह है कि देश में ज्यादा से ज्यादा हाई स्पीड ट्रेन चलाई जा रही है.

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