झारखंड : नगर निकाय चुनाव न कराए जाने पर हाईकोर्ट नाराज, मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ अफसरों को अवमानना का नोटिस

रांची, 10 सितंबर . Jharkhand हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश के बावजूद राज्य में नगर निकायों के चुनाव नहीं कराए जाने पर Wednesday को एक बार फिर सख्त नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि Government ने अदालत के आदेश की अवहेलना की है, इसलिए राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी सहित अन्य जिम्मेदार आईएएस अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित करते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव के अलावा नगर विकास विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय चौबे, आईएएस अधिकारी वंदना डाडेल, अपर सचिव ज्ञानेश कुमार सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इन सभी के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर मुकदमा चलाया जाएगा. सुनवाई के दौरान Government की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि नगर निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है.

इस प्रक्रिया के बाद चुनाव करा लिए जाएंगे. न्यायालय ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि Government अदालत के आदेश के साथ-साथ कानून के साथ खिलवाड़ कर रही है. जस्टिस आनंदा सेन की बेंच ने रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद 4 जनवरी 2024 को निर्देश दिया था कि राज्य के सभी नगर निकायों के चुनाव तीन सप्ताह के भीतर कराए जाएं. इस आदेश का आज तक अनुपालन नहीं हुआ है. इसे लेकर कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है.

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत में दलील पेश करते हुए कोर्ट से इस मामले में कार्रवाई की मांग की.

उल्लेखनीय है कि Jharkhand के सभी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है. 27 अप्रैल 2023 तक नए चुनाव कराने थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य Government ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है. इसके लिए Government ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया करीब एक साल पहले शुरू की है, लेकिन अब तक पूरी नहीं हो पाई है. अप्रैल 2023 के बाद से राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायतों का प्रबंधन Governmentी प्रशासकों के हाथों में सौंप दिया गया है. पिछले सवा दो वर्षों से इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं रह गई है.

एसएनसी/एएस