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काठमांडू, 9 सितंबर . नेपाल में भ्रष्टाचार और social media पर प्रतिबंध के खिलाफ जेन-जी के नेतृत्व वाले प्रदर्शन ने Monday को बड़ा रूप ले लिया. राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हुए इस विरोध-प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए. स्थिति उस समय नियंत्रण से बाहर हो गई, जब प्रदर्शनकारी नेपाल की संसद भवन के भीतर घुस गए.
संसद परिसर में घुसे युवाओं ने नारेबाजी के साथ तोड़फोड़ भी की. इसके बाद हालात बिगड़ते देख सुरक्षा बलों ने फायरिंग की. नेपाल में संसद पर इस तरह का हमला अभूतपूर्व माना जा रहा है, हालांकि विश्व राजनीति में यह कोई नई घटना नहीं है. इससे पहले भी कई देशों में इस तरह की स्थिति देखने को मिली है.
अमेरिका :- साल 2021 में डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी हार के बाद उनके समर्थक वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल में घुस गए थे. जानकारी के अनुसार, ट्रंप के एक social media पोस्ट से भड़के समर्थकों ने संसद पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके बाद कई लोगों की मौत हुई. इस घटना के बाद ट्रंप और उनके समर्थकों के social media अकाउंट भी बंद कर दिए गए थे.
ब्राजील :- साल 2023 में इसी तरह की स्थिति ब्राजील में भी देखने को मिली थी. चुनावी धांधली के आरोप लगाते हुए पूर्व President जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने संसद भवन में घुसपैठ कर ली थी. इस दौरान हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक संसद में हंगामा मचाया था, जिसके बाद बल प्रयोग कर उन्हें बाहर निकाला गया था.
श्रीलंका :- साल 2022 में President गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला था. आर्थिक तंगी समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर देश की जनता सड़कों पर उतर गई थी और हालात बेकाबू हो गए थे. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और Prime Minister आवास में घुसकर घंटों तक हंगामा और तोड़फोड़ की थी. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने Governmentी इमारतों से महंगी चीजें लूट ली थीं.
इराक :- साल 2022 में ही इराक में भी श्रीलंका की तरह स्थिति देखने को मिली थी. बगदाद में शिया नेता मुक्तदा अल सदर के समर्थक Prime Minister पद के उम्मीदवार का विरोध कर रहे थे. गुस्साए लोगों ने संसद भवन पर कब्जा कर लिया और कई दिनों तक वहां डटे रहे.
बांग्लादेश :- India के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी अगस्त 2024 में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. छात्रों के एक गुट ने शेख हसीना Government को सत्ता से हटाने के लिए राजधानी ढाका समेत कई जिलों में प्रदर्शन किया था. इस दौरान हिंसा भी हुई थी. हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. दूसरी तरफ, मुहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम Government गठित की गई. इसके बाद भी वहां से लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं. खासकर धर्म के आधार पर हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. यहां तक कि अवामी लीग ने अंतरिम Government पर जनता से किए गए वादे से मुकरने और देश में हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया है.
इन सबके अलावा, हांगकांग और जॉर्जिया में भी जनता Government के खिलाफ संसद भवन में घुसकर हंगामा कर चुकी है.
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पीएसके/