हैदराबाद, 13 फरवरी . तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि कालेश्वरम परियोजना लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई थी, लेकिन इससे एक लाख एकड़ जमीन भी सिंचित नहीं हुई है.
उन्होंने मंत्रियों, विधायकों और एमएलसी के साथ मंगलवार को जयशंकर भूपालपल्ली जिले में कालेश्वरम परियोजना के एक हिस्से मेदिगड्डा बैराज का दौरा किया.
वे हाल ही में डूबे कुछ घाटों को देखने के लिए बैराज के चारों ओर गए.
मुख्य विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक इस यात्रा से दूर रहे, हालांकि मुख्यमंत्री ने सभी दलों को आमंत्रित किया था. एआईएमआईएम के पांच विधायक और सीपीआई के एकमात्र विधायक मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायकों के साथ थे.
बैराज के चारों ओर घूमने के बाद उन्होंने मुख्य अभियंता (सिंचाई) सुधाकर रेड्डी द्वारा एक पावरपॉइंट प्रस्तुति देखी.
पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन में मुख्य अभियंता ने परियोजना के निर्माण का अनुमान, वास्तविक व्यय, बिजली बिल, वार्षिक रखरखाव लागत और सिंचित भूमि की सीमा के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर, 2023 को बैराज के घाट डूब गए.
मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य लोगों को कालेश्वरम परियोजना की खामियों और खामियों के बारे में जानकारी देना है.
उन्होंने पिछली बीआरएस सरकार के इस दावे को झूठ बताया कि इस परियोजना से एक करोड़ एकड़ जमीन सिंचित हुई. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने केवल 98,000 एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए 94,000 करोड़ रुपये खर्च किए.
उन्होंने कहा कि अगर यह परियोजना 2 लाख करोड़ रुपये की लागत से भी पूरी हो जाती है, तो भी इसकी क्षमता केवल 19.63 लाख एकड़ जमीन को सिंचित करने की होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कालेश्वरम का सालाना बिजली बिल 10,500 करोड़ रुपये है. अगर प्रोजेक्ट लोन और अन्य खर्चों को ध्यान में रखा जाए तो हर साल प्रोजेक्ट पर 25,000 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बीआरएस सरकार ने राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए प्रचार के लिए सार्वजनिक धन के करोड़ों रुपये बर्बाद किए.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की टीम के मेदिगड्डा बैराज के दौरे और उसकी रिपोर्ट के बाद भी कि इसके निर्माण में कमियां थीं, तत्कालीन बीआरएस सरकार ने समस्या को ठीक करने के लिए बहाली का काम नहीं किया.
रेवंत रेड्डी ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री केसीआर ने घाटों के डूबने को छिपाने की कोशिश की और याद दिलाया कि चुनाव आयोग से अनुमति मिलने के बाद उन्होंने राहुल गांधी के साथ बैराज का दौरा किया था.
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए. सतर्कता एवं प्रवर्तन विभाग ने परियोजना के निर्माण में गंभीर खामियां पाई हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि री-डिजाइनिंग के नाम पर प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार हुआ है.
रेवंत रेड्डी ने आरोप लगाया कि बेनकाब होने के डर से केसीआर ने नलगोंडा में सार्वजनिक बैठक कर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की.
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एसजीके/