सभी पशु रोग जूनोटिक नहीं होते : पशुपालन विभाग

नई दिल्ली, 7 जुलाई . पशुपालन और डेयरी विभाग ने कहा है कि रेबीज, एंथ्रेक्स, इन्फ्लूएंजा, निपाह, कोविड-19 ब्रुसेलोसिस और तपेदिक जैसे जूनोसिस संक्रामक रोग जानवरों से मनुष्यों के बीच फैल सकते हैं. हालांकि, सभी रोग ‘जूनोटिक’ नहीं होते हैं.

विभाग ने विश्व जूनोसिस दिवस मनाने के लिए पशुपालन एवं डेयरी सचिव अलका उपाध्याय की अध्यक्षता में एक बातचीत सत्र का आयोजन किया.

पशुपालन विभाग के अनुसार प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों को देखते हुए यह जानना महत्वपूर्ण है कि कौन सी बीमारियां जूनोटिक हैं.

पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने कहा, ”जागरूकता बढ़ाने से प्रारंभिक पहचान, रोकथाम और नियंत्रण में सहायता मिलती है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है. जूनोटिक और गैर-जूनोटिक रोगों के बीच अंतर के बारे में जनता को शिक्षित करने से डर को दूर करने में मदद मिलती है. साथ ही पशु स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है.”

जूनोटिक बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए डीएएचडी ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गोजातीय बछड़ों के ब्रुसेला टीकाकरण के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है और पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता के तहत रेबीज टीकाकरण शुरू किया है.

विभाग ने कहा कि वह आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पशु रोगों के लिए एक व्यापक राष्ट्रव्यापी निगरानी योजना भी लागू करने जा रहा है.

इसके अतिरिक्त, वन हेल्थ दृष्टिकोण के तहत राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल की स्थापना की गई है, जिसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर, डीएएचडी, आईसीएआर तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेषज्ञ शामिल हैं.

भारत में पशुधन की सबसे बड़ी आबादी है, जिसमें 536 मिलियन पशुधन और 851 मिलियन मुर्गी हैं. वैश्विक पशुधन और मुर्गी आबादी का लगभग 11 प्रतिशत और 18 प्रतिशत है.

इसके अतिरिक्त, भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक और वैश्विक स्तर पर अंडों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है.

विश्व जूनोसिस दिवस लुई पाश्चर के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने 6 जुलाई, 1885 को एक जूनोटिक बीमारी, रेबीज के टीके का पता लगाया था.

एमकेएस/एबीएम