भारत का द‍िल और आत्मा है पूर्वोत्तर : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि पूर्वोत्तर भारत का हृदय और आत्मा है. उपराष्ट्रपति ने मीडिया से पर्यटन और विकास में इस क्षेत्र की संभावनाओं को बढ़ावा देने की अपील की है.

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि संस्कृतियों, परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य का जीवंत संगम है, जो भारत का सार दर्शाता है.

नई दिल्ली में एक मीडिया सम्मेलन में मुख्य भाषण देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सरकार की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के परिवर्तनकारी प्रभाव और नेशनल नैरेटिव को आकार देने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा, “न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड और स्कॉटलैंड को एक साथ रख दें, तो भी वे पूर्वोत्तर के सौंदर्य से पीछे रह जाएंगे. इस क्षेत्र का प्रत्येक राज्य विजिटर्स, पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए स्वर्ग है.”

उपराष्ट्रपति ने कनेक्टिविटी में सुधार के लिए की गई महत्वपूर्ण प्रगति पर जोर देते हुए इसे क्षेत्र के लिए एक बड़ा परिवर्तन बताया. हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गई है. जलमार्गों का बीस गुना विस्तार हुआ है, इससे देशभर में विशाल रुचि और निवेश बढ़ा है.”

धनखड़ ने बांग्ला, मराठी, पाली और प्राकृत के साथ असमिया को भारत की 11 शास्त्रीय भाषाओं में से शाम‍िल क‍िए जाने पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “इस पदनाम का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता को दर्शाता है.”

उन्होंने क्षेत्र की समृद्ध आध्यात्मिक और प्राकृतिक विरासत का भी जिक्र किया, जिसमें प्रतिष्ठित कामाख्या मंदिर और विश्व प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं. उपराष्‍ट्रपत‍ि ने पूर्वोत्तर के दिव्य और पारिस्थितिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “आपको आशीर्वाद कहां से मिलता है? कामाख्या. आपको इस तरह का अभयारण्य कहां दिखाई देता है? काजीरंगा.”

इसके अलावा उन्होंने ने पूर्वोत्तर के लोगों की जीवंत संस्कृति, बेहतरीन भोजन और ऊर्जा की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, “मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि मैंने वहां किस तरह का सांस्कृतिक उत्सव देखा, पूर्वोत्तर भारत का दिल और आत्मा है.”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक्ट ईस्ट नीति देश की सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि भारत से आगे जाकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ गहरे संबंधों को बढ़ावा देगी.

उपराष्ट्रपति ने पूर्वोत्तर से कंबोडिया तक बढ़ती कनेक्टिविटी की ओर इशारा किया, जिससे जल्द ही यात्रा संभव होगी, जहां प्रतिष्ठित अंगकोरवाट मंदिर का जीर्णोद्धार भारत सरकार के प्रयासों से किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “यह नीति एक गेम चेंजर साबित होगी, इससे क्षेत्र के साथ गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बनेंगे.

धनखड़ ने कश्मीर के साथ समानताएं भी बताईं. उन्होंने कहा, “कश्मीर भी एक शानदार जगह है, जिसका आनंद लिया जाना चाहिए और इसका जश्न मनाया जाना चाहिए. उन्होंने याद किया, “1990 के दशक में, केंद्रीय मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने श्रीनगर का दौरा किया और सड़क पर मुश्किल से 20 लोग थे, जब‍क‍ि पिछले साल 2 करोड़ से अधिक लोग जम्मू-कश्मीर में पर्यटक के रूप में आए. यह हमारे राष्ट्र की परिवर्तनकारी यात्रा का प्रमाण है.”

इसके अलावा उन्होंने कहा, “पर्यटन पूर्वोत्तर के पूरे परिदृश्य को बदल सकता है, रोजगार में तेजी ला सकता है और इस क्षेत्र को वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है.”

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