सेप्सिस का शीघ्र पता लगाने के लिए नॉन-इनवेसिव इमेजिंग परीक्षण महत्वपूर्ण

नई दिल्ली, 4 दिसंबर . कनाडा के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में सेप्सिस का जल्द पता लगाने के लिए नॉन-इनवेसिव तरीके का खुलासा किया है.

सेप्सिस एक असामान्य संक्रमण है. अगर इसके उपचार में देरी होती है तो यह शरीर के अंगों की विफलता का कारण बन सकता है. अक्सर इस तरह के जानलेवा संक्रमण का पता देर से चलता है जिसके कारण हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की जान जाती है.

कनाडा के ओंटारियो में वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दिखाया कि नॉन-इनवेसिव इमेजिंग परीक्षण जो हड्डियों की मांसपेशियों के माध्यम से रक्त प्रवाह का आकलन करते है, वह सेप्सिस संक्रमण का पता लगाने में कामगार है.

टीम ने द एफएएसईबी जर्नल में प्रकाशित पेपर में कहा, ”अध्ययन से पता चलता है कि प्रारंभिक सेप्सिस में मस्तिष्क आंशिक रूप से सुरक्षित रहता है, लेकिन हड्डियों की मांसपेशियों माइक्रोहेमोडायनामिक्स में परिवर्तन का पता लगाकर बीमारी की पहचान की जा सकती है.”

वर्तमान में शुरुआती तौर पर सेप्सिस का इलाज एंटीबायोटिक्स और वैसोप्रेसर्स द्वारा किया जाता है. ये दवाएं संक्रमण और सिस्टमिक हाइपोटेंशन (निम्न रक्तचाप) को प्रबंधित करने में मदद करती हैं और जीवित रहने की दर को बढ़ाने में सहायक होती हैं. हालांकि, वर्तमान में ऐसे उपकरणों की कमी है जो सेप्सिस के शुरुआती चरण में उसकी पहचान कर सकें.

टीम ने कहा कि इस प्रकार, सेप्सिस की शीघ्र पहचान और इलाज के लिए सुलभ प्रौद्योगिकी की वैश्विक स्तर पर आवश्यकता है.

अध्ययन में टीम ने हाइपरस्पेक्ट्रल नियर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी और डिफ्यूज कोरिलेशन स्पेक्ट्रोस्कोपी नामक इमेजिंग विधियों का उपयोग किया, जो आमतौर पर बिस्तर पकड़ चुके मरीजों की टिशू की स्थिति की निगरानी के लिए प्रयोग की जाती हैं.

इमेजिंग तकनीकें कितनी प्रभावी हैं, यह जानने के लिए टीम ने चूहों पर शोध किया.

इमेजिंग विधियों से हड्डियों की मांसपेशियों के सूक्ष्म परिसंचरण में सेप्सिस के लक्षणों की पहचान संभव थी.

वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट कर रहे सह-लेखक रसा एस्कंदरी ने कहा, “सेप्सिस दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है जो असुरक्षित आबादी और कम संसाधन वाले लोगों को असमान रूप से प्रभावित करता है.”

एस्कंदरी ने कहा, “चूंकि शुरुआती चरण में पहचान से परिणामों में काफी सुधार हो सकता है और जान बच सकती है. इसलिए हमारी टीम सेप्सिस का जल्दी पता लगाने और समय पर हस्तक्षेप करने के लिए सुलभ तकनीक विकसित करने पर काम कर रही है.”

एमकेएस/एकेजे