उत्तर प्रदेश में पहले चरण के लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन बुधवार से

लखनऊ, 20 मार्च . उत्तर प्रदेश में 18वीं लोकसभा के लिए सात चरण के चुनाव के पहले चरण के लिए बुधवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है.

राज्य की आठ संसदीय सीटों – सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना (अनुसूचित जाति), मोरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में 19 अप्रैल को पहले चरण में मतदान होगा.

चुनाव आयोग के मुताबिक, चुनाव के लिए अधिसूचना 20 मार्च को जारी की जाएगी, जबकि 27 मार्च नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है.

नामांकन पत्रों की जाँच 28 मार्च को की जाएगी और उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 30 मार्च है. वोटों की गिनती 4 जून को होगी.

इस बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है और दोनों पार्टियाँ विपक्षी ‘इंडिया’ गुट का हिस्सा हैं.

राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से हाथ मिलाया है.

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 62 सीटें और उसकी सहयोगी अपना दल (सेक्युलर) ने दो सीटें जीतीं, जिससे एसपी-बीएसपी गठबंधन का सफाया हो गया. काँग्रेस ने सोनिया गाँधी की एकमात्र रायबरेली सीट जीत ली.

सपा-बसपा गठबंधन में मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ क्योंकि उसने 10 सीटें जीतीं. अखिलेश यादव की सपा ने पाँच सीटें जीतीं जबकि आरएलडी अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी.

पहले चरण में जिन आठ लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें से भाजपा ने 2019 में मुजफ्फरनगर (संजीव कुमार बालियान), कैराना (प्रदीप कुमार चौधरी) और पीलीभीत (वरुण गांधी) संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी.

सपा नेता एस.टी. हसन ने मुरादाबाद लोकसभा सीट से जीत हासिल की, जबकि सपा के आजम खान रामपुर लोकसभा सीट से विजयी हुए.

पिछले आम चुनाव में बसपा के हाजी फजलुर रहमान, मलूक नागर और गिरीश चंद्र ने क्रमश: सहारनपुर, बिजनौर और नगीना (अनुसूचित जाति) लोकसभा सीटें जीती थीं.

भाजपा को इस बार पहले चरण की सभी सीटें जीतने की उम्मीद है क्योंकि उसने इस क्षेत्र में रालोद के साथ गठबंधन करके अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.

रालोद बिजनौर सीट से चुनाव लड़ रही है जहाँ उसने चंदन चौहान को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा इस चरण की शेष सात सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

हालाँकि, पीलीभीत दुविधा की सीट बनी हुई है क्योंकि भाजपा ने अभी तक इस सीट से अपने मौजूदा सांसद वरुण गाँधी की उम्मीदवारी को मंजूरी नहीं दी है.

एकेजे/