नोएडा : सुपरनोवा रेजिडेंसी से मेंटेनेंस एजेंसी वाईजीई की विदाई, अब एओए संभालेगी जिम्मा

नोएडा, 20 मार्च . एनसीएलएटी कोर्ट ने सुपरनोवा अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एसएनएओए) बनाम वाईजीई मेंटेनेंस कंपनी के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए वाईजीई को सात दिनों के भीतर मेंटेनेंस का कार्य एसएनएओए को सौंपने का आदेश दिया है.

वाईजीई बिल्डर सुपरटेक की सहयोगी कंपनी है, वह 2018 से सुपरनोवा रेजीडेंसी में मेंटेनेंस का कार्य संभाल रही थी. लेकिन, समय के साथ वाईजीई की सेवाओं में लापरवाही सामने आई और उसने निवासियों के साथ द्वितीय श्रेणी के नागरिकों जैसा व्यवहार किया. हालात इतने बिगड़ गए कि एसएनएओए को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा, क्योंकि वाईजीई ने निवासियों की बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को बाधित करना शुरू कर दिया था.

कंपनी द्वारा एएमसी का भुगतान न करने के कारण कई लिफ्ट की स्थिति खतरनाक हो गई थी, जिससे आए दिन लिफ्ट में फ्री फॉल और अनियोजित रुकावटें होने लगीं. वाईजीई ने निवासियों से मेंटेनेंस शुल्क तो वसूला, लेकिन बिजली और पानी के बिलों का भुगतान नहीं किया. इसके चलते कुल 3 करोड़ से अधिक की देनदारी हो गई, जिसमें अकेले पानी का बकाया 42 लाख रुपए था.

जब एओए ने वाईजीई की देनदारियों की जांच की, तो यह सामने आया कि कंपनी पर कुल 4.5 करोड़ रुपए का बकाया है. इतना ही नहीं, वाईजीई पर निवासियों से वसूले गए मेंटेनेंस शुल्क को गबन करने के भी आरोप लगे. वाईजीई ने सुरक्षा गार्डों के माध्यम से सोसायटी के प्रवेश द्वार पर नियंत्रण कर लिया और तय करने लगी कि कौन अंदर आ सकता है और कौन नहीं.

इसी से जुड़ी एक घटना में एक महिला को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, जब वाईजीई ने उनके फ्रिज और वॉशिंग मशीन को लाने वाले वाहन को अंदर आने से रोक दिया. नतीजतन, उन्हें अपने भारी सामान को सोसाइटी के गेट से लेकर लिफ्ट तक खुद ही ढोकर ले जाना पड़ा. वाईजीई की मनमानी यहीं नहीं रुकी, उन्होंने न तो अपने प्लंबर और इलेक्ट्रिशियन को मरम्मत के लिए भेजा और न ही बाहर से बुलाए गए श्रमिकों को सोसाइटी में प्रवेश करने दिया.

इन अत्याचारों से तंग आकर, एओए और सुपरनोवा रेजीडेंसी के निवासियों ने कोर्ट का रुख किया. 17 मार्च को आए न्यायालय के फैसले में वाईजीई को मेंटेनेंस कार्य तुरंत एसएनएओए को सौंपने का आदेश दिया गया, जिससे पीड़ित निवासियों को बड़ी राहत मिली है. वाईजीई ने इस फैसले को स्वीकार कर लिया है और मेंटेनेंस हस्तांतरण की प्रक्रिया जारी है.

पीकेटी/एबीएम