बंगाल के कूच बिहार में निसिथ प्रमाणिक को मिल सकता है तृणमूल की अंदरूनी कलह का फायदा

कोलकोता, 22 मार्च . भारत-बंगलादेश की सीमा पर स्थित पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले की एकमात्र लोकसभा सीट पर इस बार विभिन्न कारणों से दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है.

कूच बिहार लोकसभा सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ने पहले ही वहां एक पूर्ण अभियान शुरू कर दिया है. चर्चा का प्रमुख मुद्दा प्रधानमंत्री का ‘विकसित भारत’ का नारा है. वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी आगामी चुनावों के लिए अपनाई जाने वाली प्रचार शैली को लेकर थोड़े भ्रमित नजर आ रहे हैं.

कूच बिहार में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है. वहां 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं.

इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के भीतर गुटबाजी मुख्यतः एक हाई प्रोफाइल पार्टी विधायक के समर्थकों और पार्टी के एक पूर्व जिला अध्यक्ष के समर्थकों के बीच है. इस कारण भाजपा के हैवीवेट उम्मीदवार के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान की कमी दिख रही है.

तृणमूल कांग्रेस ने जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों में से एक, सिताई के मौजूदा विधायक जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया को मैदान में उतारा है. बसुनिया को पहले से ही जिले में पार्टी की अंदरूनी कलह की मार महसूस होने लगी है. पार्टी के कई दिग्गज नेता कैंपिंग रैलियों और नुक्कड़ सभाओं से नदारद हैं.

जिले के ऐसे ही एक पीड़ित नेता पूर्णचंद्र सिन्हा ने कहा कि पार्टी के बुरे वक्त में तृणमूल कांग्रेस के साथ रहने के बावजूद पिछले साल पंचायत चुनाव के बाद से जिले के कई वरिष्ठ नेताओं को गतिविधियों से दूर रखा जा रहा है. उन्होंने कहा, “इसलिए इस बार हमने खुद को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखने का फैसला किया है.”

इसी तरह की राय पार्टी के किसान मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष जुलजेलाल मियां ने भी व्यक्त की. एक शाखा संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष होने के बावजूद पार्टी के जिला नेतृत्व द्वारा उनके सुझावों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा था. उन्होंने कहा, ”यही कारण है कि हम चुनाव संबंधी गतिविधियों से दूर रह रहे हैं, हालांकि भावनात्मक रूप से मैं अभी भी तृणमूल कांग्रेस के साथ हूं.”

हालाँकि, बसुनिया खुद इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि सीएए पर हालिया अधिसूचना आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि राजबंशी समुदाय इससे नाराज है.

वाम मोर्चा के घटक दल ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने जिले के अनुभवी पार्टी नेता नीतीश चंद्र रॉय को मैदान में उतारा है, जो छात्र राजनीति से अपना जीवन शुरू कर पार्टी में आगे बढ़े हैं. यह स्वीकार करते हुए कि जिले में उनकी पार्टी का संगठनात्मक नेटवर्क सही स्थिति में नहीं है, रॉय ने कहा कि वह बड़ी रैलियों या बैठकों की बजाय घर-घर अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

कूचबिहार लंबे समय तक ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का एक मजबूत गढ़ रहा था. वहां के लोगों ने 1977 और 2009 के बीच वाम मोर्चा घटक को लगातार 10 बार जीत दिलाई थी.

वर्ष 2009 में तृणमूल कांग्रेस की लहर के बीच भी ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार नृपेंद्र नाथ रॉय 41 हजार से अधिक वोटों के अंतर से निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए.

हालाँकि, 2014 के लोकसभा चुनावों में पैटर्न बदल गया. तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार रेणुका सिन्हा करीब एक लाख वोटों के अंतर से कूच बिहार से चुनी गईं. इस सीट पर 2016 के उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार पार्थ प्रतिम रॉय ने जीत का अंतर बढ़ाकर चार लाख से अधिक कर दिया.

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के निसिथ प्रमाणिक 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से विजयी रहे.

एकेजे/