‘1976 में राष्ट्रपति पंगु बना दिए गए’, संविधान संशोधन बिल पर निशिकांत दुबे ने कांग्रेस को याद दिलाया इतिहास

New Delhi, 21 अगस्त . गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे Prime Minister, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने वाले विधेयक पर हंगामे के बीच BJP MP निशिकांत दुबे ने विपक्ष को इतिहास याद दिलाया है. उन्होंने कहा कि अगर Prime Minister समानता के अधिकार के तहत अपराध करते हैं तो उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. इस विधेयक में Prime Minister को भी इसी दायरे में रखा गया है, लेकिन इंदिरा गांधी ने संविधान में संशोधन किया था कि किसी भी तरह के अपराध के लिए Prime Minister के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती.

BJP MP निशिकांत दुबे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “संविधान में 39वां संशोधन 1975 में हुआ, जब आपातकाल लागू कर दिया गया था और पूरे विपक्ष को बाहर कर दिया था. उस समय संशोधन लाया गया था कि किसी भी तरह के अपराध के लिए Prime Minister के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. इंदिरा गांधी ने संविधान में यह संशोधन किया था. 1976 में संविधान में 150 संशोधन हुए थे. उसमें President को पंगु बना दिया गया. President वही काम करेगा, जो Prime Minister कहेंगे. इंदिरा गांधी ने संविधान की पूरी किताब को ही बदलकर रख दिया था.”

उन्होंने मांग की कि यह सब चर्चा के विषय हैं और इस इतिहास को पाठ्यक्रमों में शामिल करके पढ़ाया जाना चाहिए.

Lok Sabha में केंद्रीय गृह मंत्री के सामने संविधान संशोधन विधेयक की कॉपियां फाड़कर उछालने पर निशिकांत दुबे ने विपक्ष की निंदा की. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अराजकता और हंगामा है. उससे पहले, 2024 के चुनावों पर विचार करें, जब कोई ‘संविधान बचाओ’ की किताब लेकर घूम रहा था. मेरा मानना ​​है कि राहुल गांधी, कांग्रेस और पूरा विपक्ष Political रूप से सिर्फ ट्यूशन और ट्वीट पर केंद्रित है.

मीडिया से बातचीत में निशिकांत दुबे ने सवाल उठाया, “अगर कोई Prime Minister, Chief Minister , सांसद या मंत्री जेल में बंद हो जाए, तो क्या उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए?”

आरोपों के बाद इस्तीफा देने वाले भाजपा नेताओं की लंबी फेहरिस्त गिनाते हुए निशिकांत दुबे ने कहा, “अमित शाह Gujarat के गृह मंत्री थे, क्या वे जेल नहीं गए? क्या उन्होंने जेल जाने से पहले इस्तीफा नहीं दिया? उन्होंने अदालत से बरी होने तक कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला. कर्नाटक में उमा भारती के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. उन्होंने Chief Minister की कुर्सी से इस्तीफा दिया और फिर कर्नाटक कोर्ट गईं. वे जेल नहीं गईं, लेकिन क्योंकि उन्हें समन भेजा गया इसलिए बीजेपी ने उनसे इस्तीफा लिया.”

इस दौरान, निशिकांत दुबे ने लालकृष्ण आडवाणी का उदाहरण दिया, जिन्होंने हवाला मामले में आरोप लगने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था और बरी होने तक कोई चुनाव नहीं लड़ा. उन्होंने एक और नाम गिनाते हुए कहा कि मदन लाल खुराना दिल्ली के Chief Minister थे. उन्होंने भी आरोप लगने के बाद इस्तीफा दिया था. इस बीच, निशिकांत दुबे ने यशवंत सिन्हा का भी उदाहरण दिया, जो भाजपा से विपक्ष में जा चुके हैं.

BJP MP ने आगे कहा, “आज की स्थिति में अरविंद केजरीवाल जैसे लोग जेल से ही Chief Minister बने हुए हैं. अगर यह संविधान में नहीं लिखा है, तो इसमें नया संशोधन करने से क्या परेशानी है?”

डीसीएच/केआर