पेरिस, 4 अगस्त . 33वें ओलंपिक खेलों की मुक्केबाजी प्रतियोगिता में पुरुषों की 71 किलोग्राम बाउट के क्वार्टर फाइनल में शनिवार को निशांत देव मैक्सिकन मार्को वर्डे के खिलाफ 1-4 से हारकर बाहर हो गए.
जीत से भारत के लिए मेडल पक्का हो जाता, क्योंकि ओलंपिक मुक्केबाजी में हारने वाले दोनों सेमीफाइनलिस्टों को दो कांस्य पदक दिए जाते हैं.
निशांत की हार के बाद, विजेंदर सिंह (2008 बीजिंग) ग्रीष्मकालीन खेलों में पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष मुक्केबाज हैं.
पहले राउंड में बढ़त बनाने के बाद भी निशांत देव क्वार्टर फाइनल में मार्को वर्डे से 1:4 से हार गए. पहले ऐसा लग रहा था कि मैच उनके नियंत्रण में है, लेकिन जैसे-जैसे मुकाबला आगे बढ़ा, उनके मैक्सिकन प्रतिद्वंद्वी ने जोरदार वापसी की. साथ ही दूसरे राउंड में भाग्य और फैसला भी निशांत के पक्ष में नहीं था.
निशांत देव के पर्सनल कोच सुरेंद्र ने कहा, “यह दिल तोड़ने वाली हार थी. हमारी नजर गोल्ड पर थी. हम इस मैच में आगे थे और निशांत ने शुरुआत भी अच्छी की थी. लेकिन भाग्य ने हमारा साथ नहीं दिया और कुछ फैसले भी हमारे पक्ष में नहीं थे और थोड़े गलत रहे. हालांकि, हम कोई विरोध या शिकायत दर्ज नहीं कराएंगे.
“निशांत ने पहले भी इस प्रतिद्वंद्वी को हराया है. उसने प्रैक्टिस बाउट में कई दिग्गजों को धूल चटाई है. इस मैच में भी निशांत आगे था. उसने पहले राउंड में शानदार शुरुआत की, जबकि दूसरे राउंड कांटे की टक्कर का था. फैसला उसके हक में नहीं आया. हालांकि तीसरे राउंड में मैक्सिकन प्रतिद्वंद्वी हावी था. निशांत अभी युवा है और अभी उसका सफर बहुत बाकी है. हमारा अगला लक्ष्य लॉस एंजेलिस है.”
निशांत की चुनौती खत्म होने के साथ ही पुरुष बॉक्सिंग में भारत की पिछले 16 सालों से चली आ रही मेडल की आस का भी अंत हो गया है.
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एएमजे/केआर