ओडिशा : पुरी के समुद्री तट पर ‘नीलाद्री बीच फेस्टिवल’ का आयोजन, अपशिष्ट पदार्थों से बनाई गई कलाकृतियां

पुरी, 8 जनवरी . ओडिशा में पहली बार ‘भारतीय प्रवासी दिवस’ का आयोजन हो रहा है. बुधवार को पुरी के ‘नीलाद्री बीच फेस्टिवल’ का उद्घाटन हुआ. पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए बीच पर कलाकारों द्वारा अपशिष्ट पदार्थों से कई रोचक कलाकृतियां बनाई गई, जो लोगों को खूब पसंद आ रही हैं.

नीलाद्री बीच फेस्टिवल में प्लास्टिक की बोतलें, टूटे खिलौने, कांच की बोतलें, वॉशर, टिन के डिब्बे, टूटे जाल, धागे, रस्सियां और अन्य बेकार वस्तुओं जैसे अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करके कई अनूठी कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं. ये कलात्मक रचनाएं एक मजबूत सामाजिक संदेश देने के लिए बनाई गई हैं. 11 कलाकारों की एक टीम ने पर्यावरण पर, खासकर समुद्र तटों पर अपशिष्ट के हानिकारक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक समर्पित प्रयास किया है. हजारों पर्यटक जो समुद्र तट पर आते हैं, उन्होंने इसका लुत्फ उठाया.

ओडिशा ईकोटूरिज्म फाउंडेशन के अध्यक्ष युवाब्रत कर ने को बताया, “पुरी का बीच पहले से ही सुंदर है और इसको और सुंदर बनाने के लिए हम इसको एक आर्ट बीच बनाना चाहते हैं. यहां पर करीब 30 से 40 कलाकार पिछले 10 दिनों से एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं. कलाकृतियों के माध्यम से ये लोग एक अच्छा मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि बीच को कैसे साफ किया जाए. मछलियों को कैसे सुरक्षित रखा जाए. समुद्र में जो अपशिष्ट मौजूद हैं, उससे कैसे कलाकृतियां बना सकते हैं, इस सबकी की कोशिश हो रही है और प्रकृति और कला को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.”

दिल्ली के कलाकार बिभुनाथ ने बताया कि उन्होंने सूर्योदय नाम से एक कला की प्रस्तुति की है. बीच पर होने वाली सूर्योदय को हमने लकड़ी के माध्यम से दिखाया है, लकड़ियों के बीच में जो खाली जगह है, उसमें हमने पेंटिंग की, जिसका कुछ मतलब निकल रहा है. ये कलाकृति कई मायनों में एक कहानी बयां कर रही है.

कलाकार मायाधार साहू ने बताया, खराब टीन के डब्बे से हमने एक कलाकृति बनाई है. मूलरूप से यह एक खास संदेश दे रहा है. जैसे घर के बाहर हम राक्षस का मास्क लगाते हैं, जिससे कि घर में कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़े, उसी को हमने यहां पर दिखाया है. समुद्र के किनारे आने वाले गेट पर इस कलाकृति को बनाया गया है. इसको बनाने में 10 दिन का समय लगा.

एससीएच/जीकेटी