कोलकाता, 3 जनवरी . राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को बताया कि उसने मई 2023 में पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले में भाजपा नेता बिजॉय कृष्ण भुनिया की हत्या मामले में एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया है.
एनआईए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि मोहन मंडल को महाराष्ट्र के पुणे से गिरफ्तार किया गया है. वह पिछले साल मई में भुनिया की हत्या के बाद से फरार चल रहा था.
एनआईए के बयान में कहा गया है कि मोहन मंडल को गुरुवार को मई 2023 के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के मोयना के गोरामहल गांव में बिजॉय कृष्ण भुनिया का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई थी. फरार होने के बाद मोहन मंडल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे.
एनआईए के बयान के अनुसार, मंडल इस मामले में पकड़ा जाने वाला तीसरा आरोपी है. दो अन्य आरोपी नबा कुमार मंडल और सुवेंदु भौमिक को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. नबा कुमार मंडल को पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया था.
एनआईए ने अप्रैल 2024 में एक आदेश के माध्यम से कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर मोयना पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने के बाद मामला दर्ज किया.
बयान में कहा गया है कि भूनिया के अपहरण और हत्या के पीछे की पूरी साजिश का पर्दाफाश करने और बाकी फरार लोगों को गिरफ्तार करने के प्रयासों के तहत एनआईए अपनी जांच जारी रखे हुए है.
भूनिया की पिछले साल मई में मोयना में हत्या कर दी गई थी. शुरुआत में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने मामले में उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) स्तर की जांच का आदेश दिया था. हालांकि, बाद में राज्य पुलिस पर मामले की जांच में खामियां होने के आरोप लगे.
पहली शिकायत यह थी कि हत्या के स्थान से बम बरामद होने की घटना का आरोप पत्र में उल्लेख नहीं किया गया था. राज्य पुलिस पर यह भी आरोप था कि उनके जांच अधिकारियों ने आरोप पत्र में कई आरोपियों के नाम शामिल नहीं किए थे.
बता दें कि भुनिया मोयना में भाजपा के बूथ अध्यक्ष थे. उन्हें मोयना के पूर्व तृणमूल कांग्रेस विधायक संग्राम कुमार डोलुई के कथित करीबी गुंडों ने उठा लिया और फिर उनकी हत्या कर दी.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था.
तत्कालीन एनसीएससी के अध्यक्ष अरुण हलदर ने उस समय मोयना का दौरा किया और दावा किया कि भुनिया की हत्या इस बात का सबूत है कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है, जो राज्य में कुल मतदाताओं का 22 प्रतिशत हैं.
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