नई दिल्ली, 25 अप्रैल . राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 22 अप्रैल को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की शब्दों निंदा की है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शुक्रवार को प्रेस बयान जारी कर कहा कि एनएचआरसी पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा उनकी आस्था की पहचान करने के बाद लोगों की हत्या की खबर से बहुत व्यथित है.
आयोग घाटी में छुट्टियां मनाने आए निहत्थे और बेखबर निर्दोष नागरिकों पर हुए इस कायरतापूर्ण हमले की निंदा करता है. इस घटना ने हर सही सोचने वाले इंसान की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है. यह निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा है.
विभिन्न मंचों पर बार-बार कहा गया है कि आतंकवाद दुनिया में मानवाधिकारों के उल्लंघन के सबसे बड़े कारणों में से एक है. अब समय आ गया है कि आतंकवाद को सहायता, समर्थन और बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें इस खतरे के लिए जवाबदेह ठहराया जाए.
अन्यथा, इसके परिणामस्वरूप लोकतांत्रिक स्थान सिकुड़ सकता है, धमकी, प्रतिशोध, समुदायों के बीच सद्भाव प्रभावित हो सकता है तथा जीवन, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और आजीविका के अधिकार सहित विभिन्न मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो सकता है.
आयोग ने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि राज्य जवाबदेही तय करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा; अपराधियों को न्याय के दायरे में लाएगा और पीड़ित परिवारों को हर संभव तरीके से सहायता प्रदान करेगा.
ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल) को आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. घायलों में स्थानीय निवासी भी शामिल थे. इस हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना विदेशी दौरा बीच में ही छोड़कर भारत लौट आए थे. बुधवार शाम (23 अप्रैल) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की अहम बैठक में सिंधु जल समझौते समेत कई बड़े फैसले लिए गए थे.
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