एनजीओ ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष उठाया केलाम्बक्कम में जहरीली हवा का मुद्दा

चेन्नई, 12 सितंबर . तमिलनाडु स्थित गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने चेंगलपट्टू जिले के केलाम्बक्कम में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया है. कई लोगों ने क्षेत्र में चल रही कपड़ा फैक्ट्रियों में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों के इस्तेमाल के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की शिकायत की थी.

सामाजिक कार्यकर्ता और चेन्नई स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज के डायरेक्टर सी. राजीव ने को बताया, “तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि वरिष्ठ नागरिकों सहित कई निवासियों ने स्वास्थ्य संबंधी खतरों का मुद्दा उठाया है और यह पाया गया है कि क्षेत्र में चल रही कुछ कपड़ा फैक्ट्रियां इसका मूल कारण हैं.”

उन्होंने कहा कि इन कारखानों से बड़ी मात्रा में खासकर शाम के वक्त परिवर्तित कार्बनिक यौगिक (वीओसी) निकल रहा है.

चेन्नई स्थित पर्यावरण अध्ययन समूह सोसाइटी फॉर एनवायर्नमेंटल स्टडीज की अन्ना मैरी ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है और चेंगलपट्टू जिला कलेक्टर सहित अधिकारियों से इस स्वास्थ्य संबंधी खतरे के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि संगठन इस मुद्दे को टीएनपीसीबी की अध्यक्ष एम जयंती और थिरुपुरुर के विधायक एसएस बालाजी के समक्ष उठाएगा. पर्यावरण समूह ने क्षेत्र के बाल रोग विशेषज्ञों के साथ अध्ययन किया है और पाया है कि वहां बच्चों में फेफड़ों के संक्रमण में तेजी आई है.

स्टडी से पता चला है कि दिन के दौरान हवा की गुणवत्ता स्वीकार्य सीमा के अंदर थी, लेकिन शाम और रात में गुणवत्ता और खराब हो गई. स्टडी में 121 माइक्रोग्राम/एम3 के वीओसी और फॉर्मेल्डिहाइड के अंशों की उपस्थिति की भी पहचान की गई है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.

अन्ना मैरी ने कहा कि अध्ययनों से फॉर्मेल्डिहाइड की मौजूदगी का पता चला है, जो कैंसर फैलाने वाला एलिमेंट है.

केलमबक्कम के निवासी डी प्रवीण कुमार ने से बात करते हुए कहा, “लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है और अध्ययनों से पता चला है कि वातावरण में वीओसी और फॉर्मेल्डिहाइड पाया गया है. ये खतरनाक रसायन हैं और फॉर्मेल्डिहाइड लोगों में कार्सिनोमा का कारण बन सकता है.”

टीएनपीसीबी की अध्यक्ष एम जयंती ने मीडियाकर्मियों को बताया कि इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए पर्यावरण वैज्ञानिकों और वरिष्ठ इंजीनियरों की एक कमिटी बनाई गई है.

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