नोएडा, 10 अप्रैल . न्यू नोएडा परियोजना को धरातल पर उतारने की दिशा में नोएडा प्राधिकरण ने एक और अहम कदम बढ़ाया है. अब 80 गांवों में ड्रोन सर्वे कराया जाएगा, जिसकी तैयारी शुरू हो चुकी है. कंपनी को 10 दिन के भीतर सर्वे से संबंधित प्रेजेंटेशन (पीपीटी) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.
इस पीपीटी को प्राधिकरण के सीईओ के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि ड्रोन सर्वे में किन बिंदुओं को शामिल किया जाएगा. ड्रोन से जुटाए गए आंकड़ों का मिलान अक्टूबर 2024 की सेटेलाइट इमेज से किया जाएगा, ताकि अधिसूचना के बाद हुए अवैध निर्माण की सटीक पहचान की जा सके. इसके बाद संबंधित लोगों को नोटिस जारी कर अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा.
ड्रोन सर्वे में जो बिंदु शामिल होंगे उनमें सर्वे गौतमबुद्ध नगर के 20 और बुलंदशहर के 60 गांवों में होगा, खसरा नंबर के अनुसार जमीन की पैमाइश, निर्माणाधीन और खाली जमीन की पहचान, सड़क, पार्क, स्कूल, कॉलेज, औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय उपयोगिता की जानकारी शामिल होगी. न्यू नोएडा के लिए अक्टूबर 2024 में अधिसूचना जारी की गई थी. इसके बाद यदि किसी ने निर्माण किया है और वह नोएडा प्राधिकरण से स्वीकृत नहीं है, तो उसे अवैध माना जाएगा.
ड्रोन सर्वे के माध्यम से अधिसूचना के बाद किए गए निर्माणों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी. प्रस्तावित प्रेजेंटेशन को 20 अप्रैल के बाद एक बैठक में समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. सुझावों और निर्देशों के बाद मई महीने में सर्वे शुरू होगा, जिसे 10 से 15 दिन में पूरा किया जाएगा. सर्वे रिपोर्ट तैयार कर सीईओ को सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी.
209.11 वर्ग किमी (यानी 20,911.29 हेक्टेयर) क्षेत्र में बसने वाले न्यू नोएडा को चार चरणों में विकसित किया जाएगा. पहले चरण में 2023-2027: 3165 हेक्टेयर का विकास होगा. उसके बाद 2027-2032: 3798 हेक्टेयर का विकास होगा. तीसरे चरण में 2032-2037: 5908 हेक्टेयर का विकास होगा और फिर चौथे चरण में 2037-2041: 8230 हेक्टेयर का विकास होगा.
पहले चरण में 15 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. कुल 80 गांवों में से प्रत्येक गांव में औसतन 200 किसान परिवार हैं, यानी लगभग 16,000 किसान परिवारों से संवाद किया जाएगा. अधिग्रहण आपसी सहमति से किया जाएगा और मुआवजा दरों पर चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा. चूंकि 80 गांवों में से 60 गांव बुलंदशहर जिले के हैं, इसलिए वहां के जिलाधिकारी और प्राधिकरण उपाध्यक्ष को नोएडा प्राधिकरण बोर्ड में शामिल किया जाएगा. इससे भूमि अधिग्रहण और मुआवजा दर निर्धारण में पारदर्शिता और सहमति सुनिश्चित हो सकेगी.
अधिसूचना के समय की सेटेलाइट इमेज को आधार मानकर तय किया जाएगा कि कौन सा निर्माण वैध है और कौन अवैध. जितना निर्माण उस समय की इमेज में होगा, उतना ही आबादी माना जाएगा. बाकी निर्माणों को अवैध मानते हुए हटाया जाएगा.
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पीकेटी/एएस