बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत सुरक्षित किए गए भारतीय सेना के नए डिजाइन कोट

New Delhi, 19 नवंबर . भारतीय सेना ने अपने नए कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के डिजाइन को औपचारिक रूप से पंजीकृत किया है. इसके साथ ही कोट कॉम्बैट के बौद्धिक संपदा अधिकार सुरक्षित कर लिए गए हैं. यह कदम सेना के परिधान तंत्र में आधुनिकरण, स्वदेशीकरण और सैनिक-केंद्रित नवाचार को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

अब यदि कोई इस सैन्य ड्रेस का अनधिकृत निर्माण, नकल या व्यावसायिक उपयोग करेगा तो उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा सकेगी.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, जनवरी 2025 में पेश किए गए इस नए आर्मी कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) ने डिजाइन और विकसित किया है. इसे आर्मी डिजाइन ब्यूरो के मार्गदर्शन में एक परामर्श परियोजना के रूप में डिजाइन किया गया है. यह परिधान तीन परतों वाले उन्नत टेक्निकल टेक्सटाइल्स से निर्मित है. इसे विविध जलवायु तथा सामरिक परिस्थितियों में सैनिकों की गतिशीलता, सुविधा और परिचालन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है.

भारतीय सेना ने इस नए डिजाइन को कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइंस एंड ट्रेडमार्क्स, कोलकाता के पास 27 फरवरी 2025 को पंजीकृत कराया था. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि 7 अक्टूबर 2025 को इसे पेटेंट ऑफिस के आधिकारिक जर्नल में प्रकाशित किया गया. इस पंजीकरण के साथ, नए कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के डिजाइन और कैमोफ्लाज पैटर्न दोनों पर ही भारतीय सेना का पूर्ण और अनन्य स्वामित्व स्थापित हो गया है. अब इसकी अनधिकृत निर्माण, नकल या व्यावसायिक उपयोग पर डिजाइंस एक्ट, 2000, डिजाइंस रूल्स, 2001 और पेटेंट्स एक्ट, 1970 के प्रावधानों के तहत विधिक कार्रवाई की जा सकेगी. कार्रवाई के अंतर्गत निषेधाज्ञा और क्षतिपूर्ति की मांग शामिल है.

न्यू कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के तीन प्रमुख घटक हैं. बाहरी परत विविध भौगोलिक परिस्थितियों में बेहतर छिपाव में मददगार है. टिकाऊपन के लिए डिजिटल प्रिंट वाला विशेष कैमोफ्लाज कोट है. वहीं, इनर जैकेट, हल्का और हवा पास होने योग्य पदार्थों से निर्मित है. इसमें इंसुलेटेड मध्य-परत है, जो बिना गतिशीलता कम किए गर्माहट प्रदान करती है. थर्मल लेयर अत्यधिक ठंडे तापमान में तापीय नियंत्रण और नमी प्रबंधन सुनिश्चित करने वाली आधार-परत है.

तीन परतों वाला यह परिधान सैनिकों को उच्चस्तरीय संरक्षण, सुविधा और परिचालन प्रभावशीलता प्रदान करता है. यह भारतीय सेना की निरंतर परिवर्तन, सैनिक कल्याण और तकनीकी प्रगति की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. इस बौद्धिक संपदा अधिकार पंजीकरण से सेना द्वारा रक्षा परिधान प्रणालियों में नवाचार, डिजाइन संरक्षण और आत्मनिर्भरता पर भी बल दिया गया है. यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण और भारतीय सेना के डेकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन (2023–2032) के अनुरूप है.

जीसीबी/एएसएच