नई दिल्ली, 1 जुलाई . भारत पहली बार विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप की मेजबानी करने जा रहा है और इसी ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करते हुए मंगलवार को नई दिल्ली 2025 संस्करण के आधिकारिक लोगो और मैस्कॉट का भव्य अनावरण किया गया.
यह चैंपियनशिप 27 सितंबर से 5 अक्टूबर तक आयोजित होगी, जिसमें 100 से अधिक देशों के 1700 से ज़्यादा पैरा एथलीट्स भाग लेंगे. इस आयोजन के माध्यम से भारत वैश्विक पैरा खेल मंच पर केवल एक मेजबान के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक कहानीकार के रूप में भी उभरेगा, जो डिजाइन और प्रतीकों के जरिए जज़्बे, विविधता और एकता का संदेश देगा.
चैंपियनशिप का आधिकारिक लोगो एक गोलाकार डिजाइन में बनाया गया है, जो वैश्विक समावेश और गति का प्रतीक है. इसके केंद्र में एक रेसिंग व्हीलचेयर में पैरा एथलीट की आकृति है, जो ताकत, रफ्तार और एकाग्रता को दर्शाती है.
लोगो के चारों ओर भारतीय संस्कृति के प्रतिष्ठित प्रतीक हैं. शान का प्रतीक मोर, बुद्धिमत्ता का प्रतीक हाथी, राग और रचना का प्रतीक सितार और स्वतंत्रता की याद दिलाने वाला चरखा. बीच में स्थित लोटस टेम्पल नई दिल्ली की आत्मा और भारत की मेहमाननवाजी का प्रतीक है.
लोगो में मैजेंटा, केसरिया और गहरे नीले जैसे जीवंत रंगों का प्रयोग भारत की विविधता, ऊर्जा और आयोजन की जीवंतता को दर्शाता है.
इस आयोजन का आधिकारिक मैस्कॉट वीराज भी खास आकर्षण बना हुआ है. वीराज एक युवा हाथी है, जिसके पैर में प्रोस्थेटिक रनिंग ब्लेड है. उसका नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “प्रभा” या “श्रेष्ठता”.
हरी आंखों, आत्मविश्वास से भरी मुस्कान और आयोजन के लोगो वाले एथलेटिक परिधान में सजे वीराज में साहस, समावेश और सपनों की उड़ान का उत्सव झलकता है. वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक अवतार के रूप में उभरता है. उन सभी खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्होंने सीमाओं को तोड़ा है, और उन बच्चों की उम्मीदों का चेहरा है जो असंभव को संभव मानते हैं.
लोगो और वीराज मिलकर उस कहानी को आकार देते हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत और पैरा खेलों की भावना का उत्सव है.
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डीएससी/एबीएम