‘रेयर अर्थ’ का नया युद्धक्षेत्र: चीन की मजबूत पकड़, ट्रंप का यू-टर्न और भारत के लिए अवसर

New Delhi, 16 अक्टूबर . डोनाल्ड ट्रंप की भूल और चीन की सख्ती ने India के लिए रेयर अर्थ्स में एक सुनहरा मौका थमा दिया है. भले ही अमेरिका ने यू‑टर्न लिया हो, India अब इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है. यह खेल केवल खदानों का नहीं, रणनीति, निवेश और तकनीक का है, और अगर India समय पर सही कदम उठाता है, तो इसे आर्थिक और वैश्विक लाभ दोनों मिल सकते हैं.

2018 में जब डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध शुरू किया, तो उन्होंने लगभग हर चीज पर टैरिफ बढ़ा दिए. लेकिन एक क्षेत्र में उनकी सबसे बड़ी चूक रही—रेयर अर्थ एलिमेंट्स , यानी वो दुर्लभ धातु जिन पर अमेरिका की हाई‑टेक इंडस्ट्री टिकी है. मोबाइल, इलेक्ट्रिक कार, एमआरआई मशीन, मिसाइल और दूसरे अत्याधुनिक उपकरण इन धातुओं के बिना काम नहीं कर सकते. ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाए, लेकिन यह नहीं देखा कि अमेरिका की इन तकनीकों के लिए जरूरी रेयर अर्थ मिनरल्‍स का अधिकांश हिस्सा चीन से आता है.

चीन ने दशकों पहले ही रेयर अर्थ मिनरल्‍स की खदानों और प्रोसेसिंग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था. ट्रंप ने सोचा कि टैरिफ युद्ध से अमेरिका जीत जाएगा, लेकिन असली ताकत चीन के पास थी—तकनीक और आपूर्ति श्रृंखला पर पकड़. टैरिफ बढ़ने के बावजूद आवश्यक धातुएं चीन से ही आती रहीं और अमेरिका की कंपनियों को भारी दिक्कत हुई.

2025 में ‘मागा’ का सुर अलापते हुए ट्रंप ने बाकी देशों की तरह चीन को निशाने पर लिया, और दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक तनाव फिर से भड़क उठा. अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जो चीनी उत्पादों पर पहले से लगे टैरिफों के ऊपर होगा. यह कदम बीजिंग द्वारा रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ पृथ्वी तत्वों) के निर्यात पर लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के जवाब में आया.

ट्रंप ने 10 अक्टूबर को ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा कि 1 नवंबर से 100 प्रतिशत टैरिफ लगेंगे, जो मौजूदा 30 प्रतिशत टैरिफ के अलावा होंगे.

अप्रैल 2025 में ट्रंप ने चीनी सामानों पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाए थे, जिसके जवाब में चीन ने 125 प्रतिशत टैरिफ लगाए. मई में दोनों ने इन्हें घटाकर 30 प्रतिशत (अमेरिका) और 10 प्रतिशत (चीन) किया, फिर अगस्त में 90-दिन का समझौता किया.

जून 2025 में लंदन में बातचीत के बाद रेयर अर्थ मिनरल्‍स की सप्लाई फिर शुरू हुई, लेकिन अब नई पाबंदियां लगी हैं. ट्रंप ने कहा कि वह दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत शिखर सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग से मिलने का “कोई कारण नहीं देखते.” लेकिन इसके बाद अपने पुराने आचरण के मुताबिक ट्रंप ने फिर यू-टर्न लिया. Sunday को अपना रुख नरम करते हुए ट्रंप ने कहा कि शी के साथ “अच्छे संबंध” हैं और सौदा हो जाएगा. एक बार फिर से यह ट्रंप का क्लासिक “यू-टर्न” लगा. तरीका वही- पहले धमकी, फिर बातचीत.

ट्रंप के इस यू-टर्न में India के लिए एक बड़ा अवसर उभरता नजर आ रहा है. दरअसल, India में रेयर अर्थ मिनरल्‍स की अच्छी खदानें मौजूद हैं, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता सीमित है. ट्रंप की गलती और चीन की आपूर्ति पर नियंत्रण ने दुनिया को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश के लिए मजबूर कर दिया है. अमेरिका और यूरोप अब चीन के अलावा भरोसेमंद सप्लायर खोजने में जुट गए हैं, और India इसके लिए वैकल्पिक सप्लायर की भूमिका आसानी से निभा सकता है.

India Government ने इस अवसर को भांपते हुए निवेश बढ़ाने और रेयर अर्थ मिनरल्‍स प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाने के लिए योजनाएं तेज कर दी हैं. जापान और दक्षिण कोरिया जैसे तकनीकी संपन्न देश India में फाउंड्री और रिफाइनरी में साझेदारी की संभावना देख रहे हैं. इसका मतलब साफ है कि भले ही ट्रंप ने अपनी नीति में यू‑टर्न लिया, लेकिन India के लिए यह खेल अब शुरू हो चुका है.

India के लिए फायदा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक लाभ का भी है. अगर India सही समय पर खदानों और प्रोसेसिंग पर ध्यान देगा, तो वह वैश्विक हाई‑टेक सप्लाई‑चेन में स्थायी भागीदार बन सकता है. ट्रंप की गलती ने दुनिया को चेताया कि रेयर अर्थ मिनरल्‍स किसी देश की टेक्नोलॉजी शक्ति का दिल है और चीन पर पूरी तरह निर्भर रहना जोखिम से कम नहीं है.

India नफे में है तो नुकसान का चांस भी है. वो ऐसे कि हमारे पास खदानें हैं, लेकिन प्रोसेसिंग और मैग्नेट निर्माण में विशेषज्ञता अभी सीमित है. इसलिए निवेश, टेक पार्टनरशिप और रिसाइक्लिंग जैसे कदम जल्द उठाने होंगे. अगर India यह काम समय पर कर ले, तो वह न केवल वैश्विक मांग को पूरा करेगा, बल्कि रणनीतिक रूप से चीन पर दबाव भी बना सकता है.

केआर/जीकेटी