New Delhi, 10 सितंबर . नेपाल में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन को लेकर विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने प्रतिक्रिया जाहिर की है. उन्होंने कहा कि नेपाल की स्थिति “बहुत जटिल, अराजक और अप्रत्याशित” है.
रोबिंदर सचदेव ने आगे कहा कि किसी भी देश में अंतिम उपाय के रूप में सेना को आगे आना पड़ता है, और नेपाल में भी सेना ने कदम बढ़ाया है. हालांकि, सवाल यह है कि क्या सेना एक ऐसी संक्रमणकालीन संरचना बना पाएगी, जिसे प्रदर्शनकारी स्वीकार करेंगे. सड़कों पर चल रही तथाकथित क्रांति में लोग एक ऐसी सरकार की मांग कर रहे हैं, जो उनके प्रतिनिधित्व और नीतियों को दर्शाए.
सचदेव ने चेतावनी दी कि नेपाल में अतीत के भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अभिजात वर्ग की छिपी संपत्ति के कारण इस प्रक्रिया को प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण होगा. अगर सेना को पुराने राजनीतिक नेतृत्व और प्रतिष्ठान की रक्षा करते देखा गया, तो यह क्रांति और गहरे संकट में बदल सकती है.
उन्होंने कहा, “सेना को एक निष्पक्ष ढांचा तैयार करना होगा, जो लोगों की मांगों को संबोधित करे, अन्यथा स्थिति और बिगड़ सकती है.”
भारत की भूमिका पर बोलते हुए रोबिंदर सचदेव ने कहा कि भारत को नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. भारत किसी भी पड़ोसी देश के मामलों में, जहां तक संभव हो दखल नहीं देता. हालांकि, भारत नेपाल की स्थिति पर नजर रख रहा है और हिंसा के मानवीय पहलुओं को लेकर चिंतित है.
सचदेव ने कहा, “भारत चाहता है कि नेपाल के लोग स्वयं तय करें कि वे कैसी सरकार चाहते हैं. यदि नेपाल की सरकार को किसी सहायता की आवश्यकता होगी, तो भारत मदद के लिए तैयार रहेगा. भारत को हस्तक्षेपकारी शक्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.”
अंतरराष्ट्रीय मामलों पर चर्चा करते हुए रोबिंदर सचदेव ने अमेरिका-भारत संबंधों और हाल के ट्रंप प्रशासन के बयानों पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ट्रम्प एक ओर भारत के साथ दोस्ती की बात करते हैं, तो दूसरी ओर उनके सलाहकार उल्टे-सीधे बयान दे रहे हैं. भारत ने इस मामले में संयमित और स्थिर कूटनीतिक रुख अपनाया है.
रोबिंदर सचदेव ने कहा, “भारत ने जल्दबाजी में कोई बयान नहीं दिया. अमेरिका और भारत के दीर्घकालिक संबंध मजबूत हैं और दोनों देश इसे खराब नहीं होने देना चाहते.”
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एकेएस/जीकेटी