इटावा, 1 जुलाई . आरएसएस के राष्ट्रीय महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के संविधान की प्रस्तावना में धर्म निरपेक्ष और समाजवाद के शब्दों की समीक्षा वाले बयान के बाद समूचे भारतवर्ष में नई बहस छिड़ गई है. इस पर बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दौनेरिया ने होसबोले के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा संविधान की रचना के समय मूल प्रस्तावना में धर्म निरपेक्ष और समाजवाद शब्द नहीं थे, इन शब्दों को बाद में जोड़ा गया.
बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दौनेरिया ने से बातचीत के दौरान कहा कि 25 जून 1975 का आपातकाल लगा था, वह बर्बरतापूर्ण था. इस आपातकाल को वही समझ सकते हैं, जिन्होंने इसकी पीड़ा झेली है. इस दौरान सोचे समझे षड्यंत्र के तहत संविधान की मूल भावना को बदला गया.
उन्होंने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जिस संविधान की रचना की थी, उसकी मूल प्रस्तावना में धर्म निरपेक्ष और समाजवाद शब्द नहीं थे, फिर इन शब्दों को क्यों जोड़ा गया. आज हिंदू बहुसंख्यक हैं, उनके अनुसार कानून होना चाहिए, लेकिन उसके बदले सेक्युलर शब्द जोड़कर राजनीति हो रही है. संविधान के अनुसार हिन्दुओं को ताकतवर होना चाहिए था ,लेकिन आज कमजोर हो रहे हैं, इसकी समीक्षा होकर यह शब्द संविधान से निकाला जाना चाहिए.
वहीं, इटावा कथावाचक मामले पर नीरज दौनेरिया ने कहा, “धार्मिक कथावाचक को लेकर इटावा में जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए. यह समाज के लिए ठीक नहीं है, यह संकीर्ण मानसिकता वाली राजनीति जैसा है. जहां तक विश्व हिंदू परिषद का सवाल है, हिंदू सभी को भाई मानते हैं. कबीर दास जी ने कहा है कि जाति पाति पूछे ना कोई ,हरि को भजै सो हरि का होई. समस्त समाज एक है, ऐसे में समाज को बांटने का काम नहीं करना चाहिए. ऐसे में यह स्पष्ट है कि कथा कोई भी कह सकता है.”
दौनेरिया ने आगे कहा कि कथावाचक मामले को सपा प्रमुख अखिलेश यादव तूल दे रहे हैं, वह राजनीतिक लाभ लेना चाह रहे हैं. उन्होंने अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका स्लोगन है कि “मुस्लिमों को बंटने नहीं देना और हिंदु समाज को जातियों में बांट देना” है. अखिलेश ओछी राजनीति कर रहे हैं. हिंदू समाज विशाल हृदय का है, वह ऐसी छोटी घटनाओं को नजरअंदाज करता है.
कोलकाता गैंगरेप मामले पर बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दौनेरिया ने कहा, “लॉ की छात्रा के साथ हुई बलात्कार की घटना एक जघन्य अपराध है. दुर्भाग्य से पश्चिम बंगाल में ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं. टीएमसी की नीति अपनी विचारधारा का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को डराने-धमकाने की रही है. इस पर टीएमसी की राजनीति टिकी हुई है.”
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एएसएच/जीकेटी