बेंगलुरु, 5 जुलाई . विश्व एथलेटिक्स के उपाध्यक्ष आदिल सुमारिवाला ने शनिवार को कहा कि ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ भविष्य में एक बड़े टूर्नामेंट के रूप में प्रतिष्ठित होगा. इससे एथलेटिक्स के क्षेत्र में देश की पकड़ मजबूत होगी.
‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) से अनुमोदित है और इसका आयोजन नीरज चोपड़ा और जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स मिलकर कर रहे हैं. इस टूर्नामेंट में दुनिया के शीर्ष जैवलिन खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं.
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के पूर्व अध्यक्ष सुमारिवाला ने समाचार एजेंसी से कहा, “यह एक छोटा कदम है, लेकिन भविष्य में यह आज की तुलना में बहुत बड़ा हो जाएगा. हम महाद्वीपीय दौरा करने जा रहे हैं. हम विश्व चैंपियनशिप, विश्व जूनियर चैंपियनशिप के लिए बोली लगा रहे हैं, इसलिए अगले कुछ वर्षों में बहुत सारी चीजें होंगी.”
सुमारिवाला भारत को ओलंपिक की मेजबानी मिलने के प्रति आशावान हैं. उन्होंने कहा कि ओलंपिक के लिए बोली लगाना कोई आसान बात नहीं है. भारत में 150 करोड़ लोग हैं. इस आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र का है. भारत के युवाओं की शक्ति देखिए. ओलंपिक किसी दूसरे देश में क्यों जाएगा? यह जरूर है कि हमें खेल प्रशासन, खेल विधेयक की जरूरत और आंतरिक मुद्दों को हल करने की जरूरत है.”
भारत में खिलाड़ियों के डोप टेस्ट में असफल होने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि हम बड़े स्तर पर जांच कर रहे हैं. हम कम परीक्षण कर सकते थे. लेकिन, ऐसा करने से धोखेबाज नहीं पकड़े जाएंगे. इसलिए डोप टेस्ट में कोई बुराई नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खेल नीति (एनएसपी) 2025 को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य देश के खेल परिदृश्य को नया आकार देना और खेलों के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाना है.
नई नीति मौजूदा राष्ट्रीय खेल नीति 2001 का स्थान लेगी और देश को एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने तथा 2036 ओलंपिक खेलों सहित अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में उत्कृष्टता के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित करने के लिए एक दूरदर्शी और रणनीतिक रोडमैप प्रस्तुत करेगी.
विश्व एथलेटिक्स के उपाध्यक्ष ने कहा, “नई नीति बहुत अच्छी है. उन्होंने उत्कृष्टता के लिए पांच स्तंभ रखे हैं – खेल विज्ञान के लिए, बुनियादी ढांचे के लिए, सामाजिक उत्थान के लिए और खेल उद्योग के लिए. मुझे लगता है कि यह एक बहुत अच्छी नीति है. साल 1985 में पहली बार खेल नीति बनाए जाने और फिर 2001 में संशोधित किए जाने के बाद से बहुत कुछ बदल गया है.”
–
पीएके/एकेजे