नई दिल्ली, 30 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया गया. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. एनडीए नेताओं ने फैसले की तारीफ करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया.
बिहार सरकार के मंत्री नितिन नबीन ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा, “केंद्र की मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है. अब तक जो लोग घड़ियाली आंसू बहाते थे, उन्हें करारा जवाब मिला है. राजनीतिक रोटी सेंकने वालों का निवाला छीन लिया गया है. पहले भी सरकार बनी और उन्होंने जनगणना का काम कराया. उस समय भी जातिगत जनगणना का विषय उठा था, लेकिन उन्होंने उसे अस्वीकार किया. पीएम मोदी ने यह फैसला लेकर सबका साथ, सबका विकास को चरितार्थ किया है.
केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर कांग्रेस के खुद की पीठ थपथपाने पर राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा, “कांग्रेस का जब देश में शासन था, तो उन्हें यह करना चाहिए था. लेकिन उनमें हिम्मत नहीं थी. हमारी सरकार ने हिम्मत की है. कांग्रेस असमय चीजों की मांग करती है. जब बीच में जातिगत जनगणना कराई जाती तो उसमें बहुत पैसा खर्च होता. अब जब जनगणना होने वाली है तो हमें एक कॉलम और जोड़ना है, जिसमें जाति लिखा जाएगा. बिना अनावश्यक खर्च के जातिगत जनगणना हो जाएगी. नेतृत्व ने सही समय पर सही फैसला लिया है.”
शिवसेना नेता मिलिंद देवड़ा ने केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, “मोदी सरकार जो भी निर्णय लेती है, उसमें जातियां नहीं देखी जाती हैं. भारत की एकता को अधिक मजबूत बनाना चाहते हैं, तो हमें धर्म और जाति के आधार पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. यह अफसोस की बात है कि भारत में संविधान स्थापित होने के इतने वर्षों के बाद धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव होता है. मुझे पूरा यकीन है कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग जो कदम उठाएगी, वो सही होगा. जातिगत जनगणना एक प्रक्रिया है. इसे कराने का यह मतलब नहीं है कि हम जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव करेंगे.”
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