सुकमा में सुरक्षा बलों की बढ़ती पकड़ के कारण नक्सली छोड़ रहे कब्जे वाले खेत

रायपुर, 21 फरवरी . छत्तीसगढ़ का सुकमा वह जिला है, जिसकी पहचान धुर नक्सल प्रभावित जिले के तौर पर है, मगर अब यहां के हालात बदल रहे हैं. सुरक्षा बलों की पकड़ मजबूत हो रही है और यही कारण है कि नक्सली वे खेत और तालाब किसानों को सौंप रहे हैं, जिन पर उनका कब्जा हुआ करता था.

सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का नक्सली कमांडर हिड़मा से नाता है, जिसके के आतंक की वजह से किसी ग्रामीणों की कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं होती थी. पूवर्ती गांव के खेत में उगने वाली फसलें, सब्जियां, तालाब का पानी और मछली पालन सब कुछ पर सिर्फ नक्सलियों का कब्जा था. इन खेतों में फेंसिंग कर उगने वाली फसल, सब्जी और तालाब की मछली का उपयोग नक्सली अपने लड़ाकों के लिए करते थे. लेकिन करीब एक सप्ताह पहले सुरक्षाबलों ने पूवर्ती गांव में घुसकर कैंप स्थापित कर दिया, जिसके बाद नक्सलियों ने अपना कब्जा छोड़कर खेत किसानों को सौंप दिए हैं. अब गांव के ग्रामीण ही खेत में फसल उगाकर उसका आपस में बंटवारा करेंगे. ये उनके आजीविका का साधन भी होगा.

पूवर्ती गांव में नक्सलियों ने बड़े तालाब में मछलियां भी पाल रखे हैं. तालाब में काफी मछलियां हैं. सुरक्षाबलों ने यह तालाब भी ग्रामीणों को सुपुर्द करा दिया है. इतना ही नहीं, इस गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया और नक्सली हिडमा की मां का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. नक्सल समस्या की वजह से कई सालों तक आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी तमाम बुनियादी सुविधाओं से दूर रहे, लेकिन अब पूवर्ती गांव में कैंप लगाए जाने के बाद से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत गांव में तमाम ज़रूरी सुविधाएं पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया गया है.

सुकमा के कलेक्टर हरिस एस. के निर्देश पर सिलगेर से पूवर्ती गांव के बीच सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. पूवर्ती में ही स्कूल भवन, पीडीएस भवन, गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही जल जीवन मिशन के तहत पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था का कार्य जल्दी शुरू किया जाएगा. वहीं विद्युत विभाग ने गांव में बिजली की लाइन पहुंचाने के लिए सर्वे पूरा कर लिया है. इतना ही नहीं, पूवर्ती गांव को हाईमास्‍ट लाइट से रौशन करने काम शुरू कर दिया गया है.

सुकमा जिले में नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ पुलिस, सीआरपीएफ व जिला प्रशासन के बेहतर तालमेल का परिणाम दिखाई दे रहा है . बस्तर के आईजी पी. सुंदर राज, सुकमा के एसपी किरण चव्हाण, सीआरपीएफ के डीआईजी अरविंद राय, कलेक्टर हरिस एस. द्वारा कैंप की स्थापना के साथ गांव में बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं, जिसका नतीजा है कि लगातार कैंप लगने के साथ गांवों में पेयजल, मेडिकल कैंप के साथ तमाम जरूरी सुविधाएं पहुंचने लगी हैं .

एसएनपी/एसजीके